मीरा के गिरधर तुलसी के राम

मीरा के गिरधर तुलसी के राम

मीरा के गिरधर तुलसी के राम,
मीरा के गिरधर तुलसी के राम,
शबरी के भगवन कुब्जा के श्याम,
है कितने तेरे रंग रूप और नाम,
सदा तेरे सुमिरन से मिलता आराम,
मीरा के गिरधर तुलसी के राम,
शबरी के भगवन कुब्जा के श्याम।

है राम कभी तो श्याम है तू,
निरंतर नित अविराम है तू,
जिस रूप में जिसने चाहा तुझे,
उस रूप में उसने पाया तुझे,
सब तेरी महिमा का करते है गान,
मीरा के गिरधर तुलसी के राम।

शरणागत को उबारे वो तू,
दुष्ट जनन को मारे वो तू,
भक्तों के काज सँवारे वो तू,
सदा प्रेम के आगे हारे वो तू,
गिरते की अंगुली को जो ले थाम,
मीरा के गिरधर तुलसी के राम,
मीरा के गिरधर तुलसी के राम।

पिता के वचन को निभाए वो राम,
कर्मो के पथ पे चलाये वो श्याम,
इक पापी कंस का मर्दन करे,
तो इक दुष्ट रावण का दलन करे,
निराले है दोनों के इक से इक काम,
मीरा के गिरधर तुलसी के राम।
 
मीरा के गिरधर तुलसी के राम,
है कितने तेरे रंग रूप और नाम,
सदा तेरे सुमिरन से मिलता आराम,
मीरा के गिरधर तुलसी के राम,
शबरी के भगवन कुब्जा के श्याम,
मीरा के गिरधर तुलसी के राम।

मीरा के गिरधर तुलसी के राम,
मीरा के गिरधर तुलसी के राम,
शबरी के भगवन कुब्जा के श्याम,
है कितने तेरे रंग रूप और नाम,
सदा तेरे सुमिरन से मिलता आराम,
मीरा के गिरधर तुलसी के राम,
शबरी के भगवन कुब्जा के श्याम,
मीरा के गिरधर तुलसी के राम।




मीरा के गिरधर तुलसी के राम Meera Ke Girdhar Tulsi Ke Ram | Manoj Mishra
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