मेरी री रे सास के पाँच पुतर थे लिरिक्स Meri Ree Saas Ke Panch Putar The Lyrics

मेरी री रे सास के पाँच पुतर थे लिरिक्स Meri Ree Saas Ke Panch Putar The Lyrics, Hariyanavi Lok Geet

मेरी री रे सास के पाँच पुतर थे,
दो देवर दो जेठ सुणियों,
मेरी री करम में बावलिया लिख्या था,
वो भी गया परदेस सुणियों।

बारा रे बरस में बावलिया घर आया,
बरसे मुसलधा रधार सुणियों,
मेरा तो ल्याया घूम घाघरा,
अपनी ल्याया पतलून सुणियों,
मेरी री सास के पाँच पुतर थे,
दो देवर दो जेठ सुणियों,
मेरी री रे सास के पाँच पुतर थे,
दो देवर दो जेठ सुणियों,

सास भी सो गयी ससुरा भी सो गया,
चौबारे बिछा लेई खाट सुनियो,
मै भी सो गी बावलिया भी सो गया
घर में बड गए चोर सुनियो,
मेरी री सास के पाँच पुतर थे,
दो देवर दो जेठ सुणियों,
मेरी री रे सास के पाँच पुतर थे,
दो देवर दो जेठ सुणियों,

मेरा तो ले गए घूम घाघरा,
बावलिये की ले गए पतलून सुनियो,
मै तो रोई सुबक सुबक के,
बावलिये ने मारी किलकार सुनियो
मेरी री सास के पाँच पुतर थे,
दो देवर दो जेठ सुणियों,
मेरी री रे सास के पाँच पुतर थे,
दो देवर दो जेठ सुणियों,

मन्ने तो जगाई अपनी देवोरानी जेठानी,
बावलिये नै सारा गाम सुनियो
मेरी री सास के पाँच पुतर थे,
दो देवर दो जेठ सुणियों,
मेरी री रे सास के पाँच पुतर थे,
दो देवर दो जेठ सुणियों।


लोक गीत श्रेणी : लोकगीत Lokgeet/Folk Song


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