सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं,
मेरे सरकार आये हैं,
मेरे गणराज आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।
पखारु इनके चरणों को,
बहाकर प्रेम की गंगा,
बिछा दो अपनी पलकों को,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।
उमड़ आई मेरी आंखें,
देखकर अपने गणपति को,
हुई रोशन मेरी गलियां,
मेरे सरकार आये हैं,
सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।
तुम आकर नहीं जाना,
मेरी इस सुनी दुनिया से,
कहूं हरदम यही सबसे,
मेरे सरकार आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे गणराज आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।
मेरे सरकार आये हैं,
मेरे गणराज आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।
पखारु इनके चरणों को,
बहाकर प्रेम की गंगा,
बिछा दो अपनी पलकों को,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।
उमड़ आई मेरी आंखें,
देखकर अपने गणपति को,
हुई रोशन मेरी गलियां,
मेरे सरकार आये हैं,
सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।
तुम आकर नहीं जाना,
मेरी इस सुनी दुनिया से,
कहूं हरदम यही सबसे,
मेरे सरकार आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे गणराज आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।
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भजन श्रेणी : श्री गणेश चतुर्थी भजन (Ganesh Chaturthi Bhajan)
सजा दो घर को गुलशन सा मेरे गणराज Saja Do Ghar Ko Gulshan Mere Ganraj Aaye गणेश चतुर्दशी स्पेशल भजन
Author - Saroj Jangir
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