सजा दो घर को गुलशन सा मेरे गणराज Saja Do Ghar Ko Gulshan

सजा दो घर को गुलशन सा मेरे गणराज Saja Do Ghar Ko Gulshan Mere Ganraj Aaye Ganesh Bhajan

 
सजा दो घर को गुलशन सा मेरे गणराज Saja Do Ghar Ko Gulshan

सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं,
मेरे सरकार आये हैं,
मेरे गणराज आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।

पखारु इनके चरणों को,
बहाकर प्रेम की गंगा,
बिछा दो अपनी पलकों को,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।

उमड़ आई मेरी आंखें,
देखकर अपने गणपति को,
हुई रोशन मेरी गलियां,
मेरे सरकार आये हैं,
सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।

तुम आकर नहीं जाना,
मेरी इस सुनी दुनिया से,
कहूं हरदम यही सबसे,
मेरे सरकार आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे गणराज आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे गणराज आये हैं,
सजा दो घर को दुल्हन सा,
मेरे सरकार आये हैं।


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सजा दो घर को गुलशन सा मेरे गणराज Saja Do Ghar Ko Gulshan Mere Ganraj Aaye गणेश चतुर्दशी स्पेशल भजन

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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