तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं,
करे क्या आपसे परदा,
सोच परदे हटाये हैं,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
जिसे भी जानकर अपना,
राज दिल का बता डाला,
हुआ क्या हाल मत पूछो,
कलेजा ही जला डाला,
गैर तो गैर थे फिर भी,
चोट अपनों की खाये हैं,
करे क्या आपसे परदा,
सोच परदे हटाये हैं,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
जहाँ में शोर हैं ऐसा,
नहीं कोई श्याम के जैसा,
निभाता प्रेम प्रेमी से,
चलो देखूं तू हैं कैसा,
सोचकर मन में ये मोहन,
तेरे नजदीक आये हैं,
करे क्या आपसे परदा,
सोच परदे हटाये हैं,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
तुम्हारे सामने मेरा,
झुके बस शीश मनमोहन,
अगर तू देव है सच्चा,
तो बस दे मुझको वचन मोहन,
भरे दिल से भरे मन से,
जुबां पैर शब्द लाये हैं,
करे क्या आपसे परदा,
सोच परदे हटाये हैं,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
कोई साम्राज्य पाने की,
नहीं चाहत प्रभु मेरी,
चाहत तो है मेरी इतनी,
मिले यारी मुझे तेरी,
बाला ज्यादा तो क्या,
बोले तुम्हे आजमाने आये है,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं,
करे क्या आपसे परदा,
सोच परदे हटाये हैं,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
सुनाने दिल की आये हैं,
करे क्या आपसे परदा,
सोच परदे हटाये हैं,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
जिसे भी जानकर अपना,
राज दिल का बता डाला,
हुआ क्या हाल मत पूछो,
कलेजा ही जला डाला,
गैर तो गैर थे फिर भी,
चोट अपनों की खाये हैं,
करे क्या आपसे परदा,
सोच परदे हटाये हैं,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
जहाँ में शोर हैं ऐसा,
नहीं कोई श्याम के जैसा,
निभाता प्रेम प्रेमी से,
चलो देखूं तू हैं कैसा,
सोचकर मन में ये मोहन,
तेरे नजदीक आये हैं,
करे क्या आपसे परदा,
सोच परदे हटाये हैं,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
तुम्हारे सामने मेरा,
झुके बस शीश मनमोहन,
अगर तू देव है सच्चा,
तो बस दे मुझको वचन मोहन,
भरे दिल से भरे मन से,
जुबां पैर शब्द लाये हैं,
करे क्या आपसे परदा,
सोच परदे हटाये हैं,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
कोई साम्राज्य पाने की,
नहीं चाहत प्रभु मेरी,
चाहत तो है मेरी इतनी,
मिले यारी मुझे तेरी,
बाला ज्यादा तो क्या,
बोले तुम्हे आजमाने आये है,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं,
करे क्या आपसे परदा,
सोच परदे हटाये हैं,
तेरे दरबार में दाता,
सुनाने दिल की आये हैं।
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