बिगड़ी मेरी तकदीर को सतगुरु ने बनाना है
बिगड़ी मेरी तकदीर को सतगुरु ने बनाना है
बिगड़ी मेरी तकदीर,को तूने बनाना है,
दर छोड़ कर तेरा,
कही ना और जाना है,
बिगड़ी मेरी तकदीर,
को सतगुरु ने बनाना है,
दर छोड़ कर तेरा,
कही ना और जाना है।
आते रहे संदेशे,
मुझे कितने सालों से,
उलझा रहा मैं हर दम,
अपने ख्यालो में,
सच्चा तेरा दरबार है,
बेदर्द ज़माना है,
दर छोड़ कर तेरा,
कही ना और जाना है।
तू ही मेरा मात पिता,
है तू ही दाता है,
सिमरन तेरा नाम,
नहीं करना आता है,
तेरे चरणों में ही अपना,
अब परम ठिकाना है,
दर छोड़ कर तेरा,
कही ना और जाना है।
धरती पर स्वर्ग है तो,
कही गुरु जी का द्वारा है,
गुरुवर मेरा सारे जगत में,
सबसे न्यारा है,
गुरबाणी का हर एक शब्द,
अनमोल खजाना है,
दर छोड़ कर तेरा,
कही ना और जाना है।
बिगड़ी मेरी तकदीर,
को तूने बनाना है,
दर छोड़ कर तेरा,
कही ना और जाना है,
बिगड़ी मेरी तकदीर,
को सतगुरु ने बनाना है,
दर छोड़ कर तेरा,
कही ना और जाना है।
बिगड़ी मेरी तकदीर,
को तूने बनाना है,
दर छोड़ कर तेरा,
कही ना और जाना है,
बिगड़ी मेरी तकदीर,
को सतगुरु ने बनाना है,
दर छोड़ कर तेरा,
कही ना और जाना है।
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