गुरु शब्द है, गुरु समझ है, गुरु मार्गदर्शन है, गुरु के द्वारा शिष्य, अपने लक्ष्य तक पहुँच जाता है,
चंदा जाएगा, सूरज जाएगा, और जाएगा पानी, कहे कबीर, एक नाम नई जाएगा, ये है अमर निशानी,
गुरु बिन माला फेरते, और गुरु बिन करते दान, अरे गुरु बिन सब निष्फल गया, और वाचो वेद पुराण,
राम कृष्ण से कौन बड़ा, और उन्होंने तो गुरु कीन्हि, अरे तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन ,
हमरे गुरु की दो भुजा, और गोविन्द के भुज चार, अरे चार से कछु ना सरे, और गुरु उतारे पार , अरे चार से चौरासी कटे, और दोऊ उतारे पार,
गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे, कुल अभिमान मिटावे हे, कुल अभिमान मिटावे हो साधो, अरे सतलोक को जावे हे, गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे।
नारी कहे मैं संग चलूँगी, ठगनी ठग ठग काया है, अंत समय मुख मोड़ चली है, तनिक साथ नहीं देना है,
Prahlad Singh Tipaniya Bhajan Lyrics in Hindi
गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे, कुल अभिमान मिटावे हे, कुल अभिमान मिटावे हो साधो, अरे सतलोक को जावे हे, गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे।
अरे कौड़ी कौड़ी माया रे जोड़ी, जोड़ के महल बनाया है, अंत समय में थारे बाहर करिया, उस पर रहम नहीं पाया है, गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे, कुल अभिमान मिटावे हे, कुल अभिमान मिटावे हो साधो, अरे सतलोक को जावे हे, गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे।
अरे यत्न यत्न कर सुखो में पाला, वा को लाड अनेक लड़ाया है,
तन की लकड़ी तोड़ी लियो है, लम्बा हाथ लगाया है , गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे, कुल अभिमान मिटावे हे, कुल अभिमान मिटावे हो साधो, अरे सतलोक को जावे हे, गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे।
अरे भाई बंधू और कुटम्ब कबीला, धोखे में जीव बंधाया है, कहे कबीर सुनो भाई साधो, कोई कोई पूरा गुरु बन्ध छुड़ाया है, गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे, कुल अभिमान मिटावे हे, कुल अभिमान मिटावे हो साधो, अरे सतलोक को जावे हे, गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे।
कुल अभिमान मिटावे हो साधो, अरे सतलोक को जावे हे, गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे।
Guru bina koi kaam ni aave | गुरु बिना कोई काम न आवे | By Prahlad singh Tipanya | Kabir bhajan