मां चामुंडा मां तुलजा का अमर इतिहास हुआ Maa Chamunda Maa Tulaja Mata Rani Bhajan
मां चामुंडा मां तुलजा का,अमर यही इतिहास हुआ,
सुनो सुनाऊ बात पुरानी,
मध्य प्रदेश देवास शहर,
महाशक्ति जहां वास करे है,
मां तुलजा और चामुंडा,
पर्वत पर ही निवास करे है।
भक्ति की शक्ति से ही,
पर्वत पर अवतारी मैया,
ध्यान रखे है भक्तों का,
सच्ची पालन हारी मैया,
गुप्त रूप में टेकरी पर,
पहले से रहती थी भवानी,
पर्वत पर रहती थी भवानी,
अपनी बहन तुलजा के साथ,
उसी समय एक भक्त थे,
माँ की देख टेकरी,
मन हर्षाया और,
विचार ये मन में आया,
यहीं करूंगा माँ की साधना,
फिर पर्वत पर डेरा लगाया।
ध्यान वो जब जब करते थे,
होता था एहसास उनको,
पर्वत पे हे जगदम्बा,
होने लगा विश्वास उनको,
लेकिन एक दानव भी,
कहीं से आ गया था,
इस पर्वत पर,
आ पंहुचा वो,
इस पर्वत पर,
दानव नटकासुर था नाम,
संतो और भक्तो को सताये,
मचा दी उसने हाहा कार,
बढ़ने लगी सबकी परेशानी,
भक्त करें माँ से पुकार,
रक्षा करो हे मात भवानी।
प्रकट हुई चामुंडा रूप में,
करे युद्ध उस अपमानी से,
एक ही वार में पार किया,
त्रिशूल को उसकी छाती से,
अंत हुआ नटकासुर का,
तेरी जय जय कार हो माई,
तेरी जय जय कार हो माई,
माँ बोली सुन मेरे लाल,
पर्वत पर ही वास है मेरा,
बिगड़े बनाये सबके काम,
माँ सबका कल्याण करे है।
उसकी कभी ना होवे हार,
जो भी माँ का ध्यान धरे है,
मंत्री और जयंत ने माँ,
महिमा जन जन तक पहुचाई,
हम बालक नादान तुम्हारे,
भूल क्षमा कर देना माई,
दो देवी का हो गया वास,
नाम शहर देवास कहाया,
और शहर देवास कहाया।
आये जो माँ के दरबार,
जो भी आये याद ना जाये,
दो है रास्ते मंदिर के,
एक पैदल एक सीढ़ी रास्ता,
उड़न खटोला उड़ता जाये,
माँ के मंदिर तक पहुचाये,
भक्तों को भोजन मिलता,
अन्न क्षेत्र भी यहां पे चलता,
जग जननी का है दरबार,
मिलती यहाँ चिंता से मुक्ति,
अपना जीवन धन्य बना लो,
आओ करलो माँ की भक्ति।
सुनो सुनाऊ बात पुरानी,
मध्य प्रदेश देवास शहर,
महाशक्ति जहां वास करे है,
मां तुलजा और चामुंडा,
पर्वत पर ही निवास करे है।
भक्ति की शक्ति से ही,
पर्वत पर अवतारी मैया,
ध्यान रखे है भक्तों का,
सच्ची पालन हारी मैया,
गुप्त रूप में टेकरी पर,
पहले से रहती थी भवानी,
पर्वत पर रहती थी भवानी,
अपनी बहन तुलजा के साथ,
उसी समय एक भक्त थे,
माँ की देख टेकरी,
मन हर्षाया और,
विचार ये मन में आया,
यहीं करूंगा माँ की साधना,
फिर पर्वत पर डेरा लगाया।
ध्यान वो जब जब करते थे,
होता था एहसास उनको,
पर्वत पे हे जगदम्बा,
होने लगा विश्वास उनको,
लेकिन एक दानव भी,
कहीं से आ गया था,
इस पर्वत पर,
आ पंहुचा वो,
इस पर्वत पर,
दानव नटकासुर था नाम,
संतो और भक्तो को सताये,
मचा दी उसने हाहा कार,
बढ़ने लगी सबकी परेशानी,
भक्त करें माँ से पुकार,
रक्षा करो हे मात भवानी।
प्रकट हुई चामुंडा रूप में,
करे युद्ध उस अपमानी से,
एक ही वार में पार किया,
त्रिशूल को उसकी छाती से,
अंत हुआ नटकासुर का,
तेरी जय जय कार हो माई,
तेरी जय जय कार हो माई,
माँ बोली सुन मेरे लाल,
पर्वत पर ही वास है मेरा,
बिगड़े बनाये सबके काम,
माँ सबका कल्याण करे है।
उसकी कभी ना होवे हार,
जो भी माँ का ध्यान धरे है,
मंत्री और जयंत ने माँ,
महिमा जन जन तक पहुचाई,
हम बालक नादान तुम्हारे,
भूल क्षमा कर देना माई,
दो देवी का हो गया वास,
नाम शहर देवास कहाया,
और शहर देवास कहाया।
आये जो माँ के दरबार,
जो भी आये याद ना जाये,
दो है रास्ते मंदिर के,
एक पैदल एक सीढ़ी रास्ता,
उड़न खटोला उड़ता जाये,
माँ के मंदिर तक पहुचाये,
भक्तों को भोजन मिलता,
अन्न क्षेत्र भी यहां पे चलता,
जग जननी का है दरबार,
मिलती यहाँ चिंता से मुक्ति,
अपना जीवन धन्य बना लो,
आओ करलो माँ की भक्ति।
मां चामुंडा मां तुलजा का,
अमर यही इतिहास हुआ,
सुनो सुनाऊ बात पुरानी,
मध्य प्रदेश देवास शहर,
महाशक्ति जहां वास करे है,
मां तुलजा और चामुंडा,
पर्वत पर ही निवास करे है।
#Aalha_Dewas_Wali Maiya_Ka| Maa Chamunda Maa Tulja Ki Amar Kahani | Dwarka Mantri
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Author - Saroj Jangir
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