पी के शिव दी भक्ति दा प्याला

पी के शिव दी भक्ति दा प्याला

मस्त मस्त दम मस्त मस्त
मस्त मस्त दम मस्त मस्त,
दम मस्त दम मस्त,
मस्त मस्त दम मस्त मस्त
मस्त मस्त दम मस्त मस्त,
दम मस्त दम मस्त।

पी के शिव दी भक्ति दा प्याला,
मैनु मस्ती चढ़ दी है,
आंखा विच मेरी ता,
शंकर दी मूरत वसदी है,
मस्त मस्त दम मस्त मस्त,
दम मस्त दम मस्त।

रोज सवेरे शिवलिंग ते,
हो मैं जल चढाऊंदा,
मेरे वेहड़े विच खुशियां दा,
शंकर मीह वरसौंदा,
ऐसी किरपा है शिव दी,
ज़िंद मेरी हसदी वसदी है,
पी के शिव दी भक्ति दा प्याला,
मैनु मस्ती चढ़ दी है।

राति मैं ता शिव दे दर दे,
जगमग ज्योत जगावा,
मेरे घर दे हर कोने विच मैं,
ता रौनक पावा,
जो भी करदा ध्यान शम्भू दा,
नैया पार लगदी है,
पी के शिव दी भक्ति दा प्याला,
मैनु मस्ती चढ़ दी है।

जद भी लाइये नाम शंकर दा,
बिगड़ी बन दी जान्दी है,
बंद किस्मत दी मेरी तिजोरी हूं,
ता खुल्दी जान्दी है,
तेरी रमज कोई न जाने,
कीरति शिवालये दसदि है,
पी के शिव दी भक्ति दा प्याला,
मैनु मस्ती चढ़ दी है।
पी के शिव दी भक्ति दा प्याला,
मैनु मस्ती चढ़ दी है,
आंखा विच मेरी ता,
शंकर दी मूरत वसदी है,
मस्त मस्त दम मस्त मस्त,
दम मस्त दम मस्त।


मस्त मस्त दम | वजीर सिंह | अनन्य | पूर्ण गीत | चैनल दिव्य

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