नैया चलाती हूँ मैं बिगड़ी बनाती हूँ माता भजन

नैया चलाती हूँ मैं बिगड़ी बनाती हूँ माता भजन

(मुखड़ा)
नईया चलाती हूँ,
मैं बिगड़ी बनाती हूँ,
अपने भक्तों का मैं,
बेड़ा पार लगाती हूँ,
नईया चलाती हूँ।।

(अंतरा)
शरण जो मेरी आकर के,
भरोसा मुझ पर करता,
भक्त जो है मेरा होता,
मेरी नजरों में वो रहता,
नईया चलाती हूँ,
मैं बिगड़ी बनाती हूँ,
अपने भक्तों का मैं,
बेड़ा पार लगाती हूँ,
नईया चलाती हूँ।।

अगर तूफान आता है,
नाव हिचकोले खाती है,
नाव डूबे भला कैसे,
चुनरी मेरी लहराती है,
नईया चलाती हूँ,
मैं बिगड़ी बनाती हूँ,
अपने भक्तों का मैं,
बेड़ा पार लगाती हूँ,
नईया चलाती हूँ।।

रखती हूँ ध्यान मैं इतना,
भक्त तो सोता रहता है,
भक्त कुछ भी नहीं करता,
काम सब होता रहता है,
नईया चलाती हूँ,
मैं बिगड़ी बनाती हूँ,
अपने भक्तों का मैं,
बेड़ा पार लगाती हूँ,
नईया चलाती हूँ।।

यही इच्छा है बनवारी,
यही दरबार में बैठूं,
भक्त की नाव में बैठूं,
भक्त के साथ में बैठूं,
नईया चलाती हूँ,
मैं बिगड़ी बनाती हूँ,
अपने भक्तों का मैं,
बेड़ा पार लगाती हूँ,
नईया चलाती हूँ।।

(पुनरावृत्ति)
नईया चलाती हूँ,
मैं बिगड़ी बनाती हूँ,
अपने भक्तों का मैं,
बेड़ा पार लगाती हूँ,
नईया चलाती हूँ।।
 


ये भजन गाने के लिए नहीं केवल सुनने के लिए है | Durga Mata-Maa Ambe Navratri Bhajan- Saurabh Madhukar
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