भूतनाथ के द्वार पे जो भी अपना शीष

भूतनाथ के द्वार पे जो भी अपना शीष झुका देता है

 
भूतनाथ के द्वार पे Bhutnath Ke Dwar Lyrics

भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीष झुका देता है,
चिन्ताओं की सारी लकीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है।

जमाने की ठोकरें,
जो खाकर के हारा,
वो इस दर पे आकर,
ना रहता बेचारा,
भूतनाथ से बढ़के ना कोई,
देव है अलबेला,
कोई देव है अलबेला,
उम्मीदों को आशाओं को
बाबा टूटने ही नहीं देता है,
भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीष झुका देता है,
चिन्ताओं की सारी लकीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है।

मेरा शिव बम भोला,
बड़ा ही है भोला,
जो मांगो सब देता,
ऐसा है मस्त मौला,
मालिक तीनों लोकों का है,
फिर भी है बैरागी,
भोले फिर भी है बैरागी,
रखता चिता की राख स्वयं ये,
बाकी सबकुछ ही लुटा देता है,
भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीष झुका देता है,
चिन्ताओं की सारी लकीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है।

गुरू महिपाल जी की,
श्रद्धा और भक्ति ने,
जगाई इस दर की,
अलख ज्योति जग में,
कोटि कोटि नमन करूं,
महिपाल गुरू जी को,
महिपाल गुरू जी को,
इस दरबार मेंआने वाला,
खुद को भाग्यशाली बना लेता है,
भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीष झुका देता है,
चिन्ताओं की सारी लकीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है।

भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीष झुका देता है,
चिन्ताओं की सारी लकीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है।



Bhootnath Ke Dwar Pe Jo Bhi ||Manoj Mishra || भूतेश्वर के दर पे || Latest Baba Bhootnath Bhajan


Audio Credits:
Artist: Rajendra Jain
Composer: Rajendra Jain
Lyrics: Rajendra Jain

Next Post Previous Post