आदि अनादि अनंत अखंड
आदि अनादि अनंत अखंड,
अभेद अखेद सुबेद बतावैं,
अलग अगोचर रूप महेस कौ,
जोगि जति मुनि ध्यान न पावैं।
आगम निगम पुरान सबै इतिहास,
सदा जिनके गुन गावैं,
बड़भागी नर नारि सोई जो,
साम्ब सदाशिव कौं नित ध्यावैं।
सृजन सुपालन लय लीला हित जो,
बिधि हरि हर रूप बनावैं,
एकहि आप बिचित्र अनेक,
सुबेष बनाइ कैं लीला रचावैं।
सुंदर सृष्टि सुपालन करि जग,
पुनि बन काल जु खाय पचावैं,
बड़भागी नर नारि सोई जो,
साम्ब सदाशिव कौं नित ध्यावैं।
अगुन अनीह अनामय अज,
अविकार सहज निज रूप धरावैं,
परम सुरम्य बसन आभूषन,
सजि मुनि मोहन रूप करावैं,
ललित ललाट बाल बिधु बिलसै,
रतन हार उर पै लहरावैं,
बड़भागी नर नारि सोई जो,
साम्ब सदाशिव कौं नित ध्यावैं।
अंग बिभूति रमाय मसानकी,
बिषमय भुजगनि कौं लपटावैं,
नर-कपाल कर मुंडमाल गल,
भालु चरम सब अंग उढ़ावैं।
घोर दिगंबर लोचन तीन,
भयानक देखि कैं सब थर्रावैं,
बड़भागी नर नारि सोई जो,
साम्ब सदाशिव कौं नित ध्यावैं।
सुनतहि दीनकी दीन पुकार,
दयानिधि आप उबारन धावैं,
पहुँच तहाँ अविलंब सुदारून,
मृत्युको मर्म बिदारि भगावैं।
मुनि मृकंडु सुतकी गाथा सुचि,
अजहुँ बिग्यजन गाई सुनावैं,
बड़भागी नर नारि सोई जो,
साम्ब सदाशिव कौं नित ध्यावैं।
चाउर चारि जो फूल धतूरके,
बेल के पात औ पानि चढ़ावैं,
गाल बजाय कै बोल जो,
हरहर महादेव धुनि जोर लगावैं।
तिनहिं महाफल देय सदासिव,
सहजहि भुक्ति मुक्ति सो पावैं,
बड़भागी नर नारि सोई जो,
साम्ब सदाशिव कौं नित ध्यावैं।
बिनसि दोष दुख दुरित दैन्य,
दारिद्रय नित्य सुख सांति मिलावैं,
आसुतोष हर पाप ताप सब,
निरमल बुद्धि चित्त बकसावैं।
असरन सरन काटि भवबंधन,
भव निज भवन भव्य बुलवावैं,
बड़भागी नर नारि सोई जो,
साम्ब सदाशिव कौं नित ध्यावैं।
औढरदानि, उदार अपार जु,
नैकु सी सेवा तें ढुरि जावैं,
दमन असांति समन सब संकट,
विरद बिचार जनहि अपनावैं,
ऐसे कृपालु कृपामय देब के,
यों न सरन अबहीं चलि जावैं,
बड़भागी नर नारि सोई जो,
सांब सदासिव कौं नित ध्यावैं।
आदि अनादि अनंत अखंड । Adi Anadi Anant Akhand
Latest Newest Bhajans Complete Lyrics in Hindi (New Bhajan)