भूतनाथ के द्वार पे जो भी लिरिक्स Bhutnath Ke Dwar Lyrics

भूतनाथ के द्वार पे जो भी लिरिक्स Bhutnath Ke Dwar Lyrics

भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीष झुका देता है,
चिन्ताओं की सारी लकीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है।

जमाने की ठोकरें,
जो खाकर के हारा,
वो इस दर पे आकर,
ना रहता बेचारा।

भूतनाथ से बढ़ के ना कोई,
देव है अलबेला,
कोई देव है अलबेला,
उम्मीदों को आशाओं को
बाबा टूटने ही नहीं देता है।

मेरा शिव बम भोला,
बड़ा ही है भोला,
जो मांगो सब देता,
ऐसा है मस्तमौला।

मालिक तीनों लोकों का है,
फिर भी है बैरागी,
भोले फिर भी है बैरागी,
रखता चिता की राख स्वयं ये,
बाकी सबकुछ ही लुटा देता है।

गुरू महिपाल जी की,
श्रद्धा और भक्ति ने,
जगाई इस दर की,
अलख ज्योति जग में,
कोटि कोटि नमन करूं,
महिपाल गुरू जी को,
महिपाल गुरू जी को।

इस दरबार में आने वाला,
ख़ुद को भाग्यशाली,
बना लेता है,
भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीष झुका लेता है,
चिन्ताओं की सारी लक़ीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है।

भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीष झुका देता है,
चिन्ताओं की सारी लकीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है
 

। आशा है यह भजन आपको अवश्य ही पसंद आया होगा।   यह भजन भगवान शिव जी को समर्पित है जिन्हें भूतनाथ या भूतनाथ के रूप में जाना जाता है। इस भजन में गायक भगवान शिव की महिमा, शक्ति, और करुणा की बात करता है। धन्य है वो व्यक्ति जो भगवान शिव के द्वार पर अपना शीष झुका देता है, क्योंकि वे सभी चिन्ताओं और लकीरों को मिटा देते हैं और उनकी पूजा करने वाले को धन्य बना देते हैं। भगवान शिव को भक्तों की आशाओं को पूरा करने वाले, दयालु, और बैरागी देवता के रूप में वर्णित किया गया है। गायक इस भजन में गुरु महिपाल जी की भक्ति को भी याद करता है, जिनकी श्रद्धा ने भगवान शिव की अलख ज्योति को जगाया है। भजन में इस दरबार में आने वाले व्यक्ति की स्तुति की गई है, जो भगवान शिव के द्वार पर अपना शीष झुका लेता है और उनकी कृपा का अनुभव करता है।
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