ब्रोकली की तासीर क्या होती है

ब्रोकली की तासीर क्या होती है

हमने सुना है द्वार पे तेरे,
बिगड़ा नसीब संवरता है,
जग जाता है सोया नसीबा,
तू वो जादू करता है,
हमने सुना है द्वार पे तेरे,
बिगड़ा नसीब संवरता है।।

सारी दुनिया बोलती है तू,
राजाओं का राजा है,
दीन दुखी निर्बल की खातिर,
तेरा खुला दरवाज़ा है,
निर्बल को तू बल देता है,
दुखियों के दुःख हरता है,
हमने सुना है द्वार पे तेरे,
बिगड़ा नसीब संवरता है।।

टूट चुका हूं मैं भी बाबा,
हिम्मत भी अब हार गई,
खुद को हौंसला देने की भी,
हर कोशिश बेकार गई,
क्या बोलूं मैं अपनी ज़ुबां से,
तू तो आंखें पढ़ता है,
हमने सुना है द्वार पे तेरे,
बिगड़ा नसीब संवरता है।।

सारे सहारे छूट गए, बस
तेरी आस ही बाकी है,
सांसों से भी ज़्यादा ज़रूरत,
मुझको तेरी कृपा की है,
डाल से टूटा फूल भी ‘माधव’,
तेरी दया से निखरता है,
हमने सुना है द्वार पे तेरे,
बिगड़ा नसीब संवरता है।।

हमने सुना है द्वार पे तेरे,
बिगड़ा नसीब संवरता है,
जग जाता है सोया नसीबा,
तू वो जादू करता है,
हमने सुना है द्वार पे तेरे,
बिगड़ा नसीब संवरता है।।


हमने सुना है द्वार पे तेरे | Rina Das Bhajans | Abhishek Sharma "MADHAV" ‪@ArdaasBhakti‬

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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