एक दीया साईं के नाम का
एक दीया साईं के नाम का
एक दीया साईं के नाम का रोज़ घर में जलाया करो।
रोज़ उठ कर सुबह प्रेम से साईं मंदिर में जाया करो।।
वो निराकार है, वो ही साकार है,
सारे संसार का वो मददगार है,
यंत्र कोई नहीं, तंत्र कोई नहीं,
साईं से नाम सा मंत्र कोई नहीं,
डर रहेगा न कोई, फ़िक्र मंत्र ये गुण गुनाया करो,
एक दीया साईं के नाम का रोज़ घर में जलाया करो।।
जाने किस रूप में पास आ जाए वो,
किसकी सूरत में सूरत दिखा जाए वो,
तू सहारा उसे डगमगाए जो,
उसकी कर दो मदद, हाथ फैलाए जो,
उसकी कर दो मदद, हाथ फैलाए जो,
जाने किस रूप में पास आ जाए वो,
किसकी सूरत में सूरत दिखा जाए वो,
ये वचन साईं बाबा के हैं, ये वचन न भुलाया करो,
एक दीया साईं के नाम का रोज़ घर में जलाया करो।।
रोज़ उठ कर सुबह प्रेम से साईं मंदिर में जाया करो।।
वो निराकार है, वो ही साकार है,
सारे संसार का वो मददगार है,
यंत्र कोई नहीं, तंत्र कोई नहीं,
साईं से नाम सा मंत्र कोई नहीं,
डर रहेगा न कोई, फ़िक्र मंत्र ये गुण गुनाया करो,
एक दीया साईं के नाम का रोज़ घर में जलाया करो।।
जाने किस रूप में पास आ जाए वो,
किसकी सूरत में सूरत दिखा जाए वो,
तू सहारा उसे डगमगाए जो,
उसकी कर दो मदद, हाथ फैलाए जो,
उसकी कर दो मदद, हाथ फैलाए जो,
जाने किस रूप में पास आ जाए वो,
किसकी सूरत में सूरत दिखा जाए वो,
ये वचन साईं बाबा के हैं, ये वचन न भुलाया करो,
एक दीया साईं के नाम का रोज़ घर में जलाया करो।।
Sai Jot I Sai Bhajan I JATIN SHARMA (Student of T-Series Works Academy) I Full Audio Song
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Sai Bhajan: Sai Jot
Singer: Jatin Sharma (Student of T-Series Works Academy)
Album: Sai Jot
Music Director: Rajeev Raj Aditya
Lyrics: Ravi Chopra
Singer: Jatin Sharma (Student of T-Series Works Academy)
Album: Sai Jot
Music Director: Rajeev Raj Aditya
Lyrics: Ravi Chopra
साईं बाबा की भक्ति में डूबा मन संसार की हर दौलत, हीरे-मोती और बाहरी शोभा से ऊपर उठ जाता है। साईं बाबा ने अपना जीवन एक फकीर, जोगी और मलंग की तरह बिताया, जिसमें भौतिक सुख-सुविधाओं का कोई मोह नहीं था। वे अपने भक्तों को भी यही सिखाते हैं कि असली धन आत्मा की पवित्रता और सच्ची भक्ति है, न कि बाहरी आभूषण या संपत्ति। जीवन की कसौटी पर बार-बार परखा जाता है, जैसे सुनार सोने को घिस-घिसकर उसकी असलियत देखता है, वैसे ही साईं बाबा अपने भक्तों को कठिनाइयों में परखते हैं, ताकि वे और निखर जाएँ।
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Author - Saroj Jangir
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