वृंदावन उपजे पेड़ वृक्ष लिरिक्स Vrindavan Upaje Ped Lyrics
वृंदावन उपजे पेड़ वृक्ष,या की तीन लोक में छाया,
वृंदावन उपजे पेड़ वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया।
कौन दिशा महुआ उगे,
और कौन दिशा तुलसी को बाग,
वृक्ष याकी तीन लोक में छाया,
वृंदावन उपजे पेड़ वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया।
पूरब दिशा महुआ उगे,
पश्चिम में तुलसी को बाग वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया,
वृंदावन उपजे पेड़ वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया।
कौन महुआ को सींचता,
कौन तुलसी को बाग वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया,
वृंदावन उपजे पेड़ वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया।
रुकमणी महुआ सिंचती,
कोई राधा तुलसी को बाग वृक्ष,
या के तीन लोक में छाया,
वृंदावन उपजे पेड़ वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया।
कौन दिशा बदरा उठे,
कौन दिशा बरसे मेह वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया,
वृंदावन उपजे पेड़ वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया।
पूरब दिशा बदरा उठे,
कोई पश्चिम बरसे मेघ वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया,
किसकी भीगे रंग चुनरी,
और किसको भीगे बाग वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया।
राधा की भीगे रंग चुनरी,
कान्हा को भीगे बाग वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया,
वृंदावन उपजे पेड़ वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया।
कहां तो सुके रंग चूंदड़ी,
कहां तो सूखे बाग वृक्ष,
या कि तीन लोक में छाया,
वृंदावन उपजे पेड़ वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया।
महलों में सूखे रंग चुनरी,
जंगल में सूखे बाग वृक्ष,
राशि तीन लोक में छाया,
वृंदावन उपजे पेड़ वृक्ष,
या की तीन लोक में छाया।