सच्ची मुचि ओहदा बेड़ा पार हो गया
एह नदी जीवन दी ऐसी गहरी,
तरी माँ बिना ना जावे,
हरदम ध्यान करा जगदम्बा,
सब दा बेड़ा पार लंगावे।
माँ चरणा दे,
नाल प्यार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया।
इक मन चित होके,
दर ते जो आउंदे ने,
बिना कुझ बोले ही,
मुरादा झट पाउंदे ने,
सुपने च जेहनु,
माँ दीदार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया,
माँ चरणा दे,
नाल प्यार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया।
माँ दे दर वगदिया,
शीतल हवावा ने,
भटके सवालिया नू,
मिलदिया राहवा ने,
जेहनु माँ दे नाम दा,
खुमार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया,
माँ चरणा दे,
नाल प्यार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया।
चिंता हरण जग जननी,
बुलाउंदे ने,
देवते नि माये,
गुणगान तेरा गाउँदे ने,
हैरी ते भी तेरा,
उपकार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया,
माँ चरणा दे,
नाल प्यार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया।
तरी माँ बिना ना जावे,
हरदम ध्यान करा जगदम्बा,
सब दा बेड़ा पार लंगावे।
माँ चरणा दे,
नाल प्यार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया।
इक मन चित होके,
दर ते जो आउंदे ने,
बिना कुझ बोले ही,
मुरादा झट पाउंदे ने,
सुपने च जेहनु,
माँ दीदार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया,
माँ चरणा दे,
नाल प्यार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया।
माँ दे दर वगदिया,
शीतल हवावा ने,
भटके सवालिया नू,
मिलदिया राहवा ने,
जेहनु माँ दे नाम दा,
खुमार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया,
माँ चरणा दे,
नाल प्यार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया।
चिंता हरण जग जननी,
बुलाउंदे ने,
देवते नि माये,
गुणगान तेरा गाउँदे ने,
हैरी ते भी तेरा,
उपकार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया,
माँ चरणा दे,
नाल प्यार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा,
बेड़ा पार हो गया।
Beda Paar Ho Gaya (Full Song) || Harvinder Harry || Jai Bala Music || Latest Mata Songs 2017
जीवन की यह धारा कितनी भी गहरी क्यों न हो, जब हृदय में मातृत्व के चरणों का स्मरण जाग उठता है, तो हर भँवर शांत हो जाती है। माँ का नाम जैसे किसी अदृश्य शक्ति की नाव बनकर मन को पार लगाता है—न कोई भय रह जाता है, न कोई संदेह। जब कोई सच‑मन से उसके दरबार की ओर रुख करता है, तो शब्दों की आवश्यकता नहीं होती; वहाँ मौन ही प्रार्थना बन जाता है, और माँ उस मौन को ही सुन लेती है। एक झलक उसकी कृपा की जब आत्मा को छूती है, तब भीतर की बेचैनी खुद‑ब‑खुद ठहर जाती है। उस क्षण लगता है जैसे सारे तूफान किसी करुणा भरे हाथ से थाम लिए गए हों।
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