दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा लिरिक्स

दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा लिरिक्स

जायेगा जब जहाँ से,
कुछ भी ना पास होगा,
दो गज कफ़न का टुकड़ा,
तेरा लिबास होगा।

काँधे पे धर ले जाये,
परिवार वाले तेरे,
यमदूत ले पकड़कर,
डोलेंगे घेरे घेरे,
पीटेगा छाती अपनी,
मनवा उदास होगा।

चुन चुन के लकड़ियों में,
रखदे तेरे बदन को,
आकर झट उठा ले,
तेरे कफ़न को,
दे देगा आग तुझमे,
बेताब ख़ास होगा।

मिट्टी में मिले मिट्टी,
बाकी ख़ाक होगी,
सोने सी तेरी काया,
जल कर के राख होगी,
दुनिया को त्याग तेरा,
मरघट में वास होगा।

प्रभु का नाम जपते,
भाव सिन्धु पार होते,
माया मोह में फंस कर,
जीवन अमोल खोते,
हरी का नाम जपले,
बेडा जो पार होगा।

जायेगा जब जहाँ से,
कुछ भी ना पास होगा,
दो गज कफ़न का टुकड़ा,
तेरा लिबास होगा।
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