गुरु भजन कर प्राणी लिरिक्स Guru Bhajan Kar Prani Lyrics
गुरु भजन कर प्राणी,यह काया तेरी हो गई पुरानी,
राम भजन कर प्राणी,
यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरि भजन कर प्राणी,
यह काया तेरी हो गई पुरानी।
इस काया का कोई ना ठिकाना,
एक दिन माटी में मिल जाना,
राजा हो या रानी,
यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरि भजन कर प्राणी,
यह काया तेरी हो गई पुरानी।
हाड जले जैसे सूखी लकड़ियां,
मांस जले जैसे घास गठरिया,
धुआं उड़े आसमानी,
यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरि भजन कर प्राणी,
यह काया तेरी हो गई पुरानी।
लख चौरासी भोग के आया,
मुश्किल से तूने नर तन पाया,
इस की कदर ना जानी,
यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरि भजन कर प्राणी,
यह काया तेरी हो गई पुरानी।
जो तू चाहे भव से तरना,
श्री सतगुरु की ले ले सरना,
बन जा आत्मज्ञानी,
यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरि भजन कर प्राणी,
यह काया तेरी हो गई पुरानी।