मेरे मन बस जइयो
बस जैयो रे मदन गोपाल,
मेरे मन बस जाइयो,
हे माधव दीन दयाल,
मेरे मन बस जाइयो।
प्रीत पत उर माला की झलक,
बांकी प्रीत मुकुट की लटकन,
खोये गई इत्त उत्त की भटकन,
उर्र रहियो मदन गोपाल,
मेरे मन बस जाइयो।
रसिक बिहारी राधा प्यारी,
ठाड़े गल में बैया डारी,
उलझी नील प्रीत पट सारी,
और संग में गोपी ग्वाल,
मेरे मन बस जाइयो।
खिले बसंत या सावन आए,
गीत प्रीत के कोयल गए,
मुझको याद तुम्हारी आए,
आजो रे मेरे नंद लाल,
मेरे मन बस जाइयो।
बस जैयो रे मदन गोपाल,
मेरे मन बस जाइयो,
बस जैयो रे मदन गोपाल,
मेरे मन बस जाइयो,
हे माधव दीन दयाल,
मेरे मन बस जाइयो।
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