सदा सोहागिन नारि सो

सदा सोहागिन नारि सो

सदा सोहागिन नारि सो,
जाके राम भतारा।
मुख माँगे सुख देत है,
जगजीवन प्यारा।
कबहुँ न चढ़ै रँडपुरा,
जाने सब कोई।
अजर अमर अबिनासिया,
ताकौ नास न होई।
नर-देही दिन दोयकी,
सुन गुरुजन मेरी।
क्या ऐसोंका नेहरा,
मुए बिपति घनेरी।
ना उपजै ना बीनसि,
संतन सुखदाई।
कहैं मलूक यह जानिकै,
मैं प्रीति लगाई
 


Sat suhagan Naar he satsang me aaiye

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