सदा सोहागिन नारि सो जाके राम भतारा

सदा सोहागिन नारि सो जाके राम भतारा

 
सदा सोहागिन नारि सो जाके राम भतारा

सदा सोहागिन नारि सो,
जाके राम भतारा।
मुख माँगे सुख देत है,
जगजीवन प्यारा।
कबहुँ न चढ़ै रँडपुरा,
जाने सब कोई।
अजर अमर अबिनासिया,
ताकौ नास न होई।
नर-देही दिन दोयकी,
सुन गुरुजन मेरी।
क्या ऐसोंका नेहरा,
मुए बिपति घनेरी।
ना उपजै ना बीनसि,
संतन सुखदाई।
कहैं मलूक यह जानिकै,
मैं प्रीति लगाई

Sat suhagan Naar he satsang me aaiye

जिसके जीवन में राम भरोसा बन जाते हैं, वो सदा सोहागिन की तरह खिली रहती है, कभी विधवा का दुख न छूता। मुख से सुख की बातें निकलती हैं, जग को प्यार बांटती हैं, और विपत्ति भी दूर भाग जाती। हमें सिखाते हैं कि अजर-अमर का साथ पाने से नास न होता, बस हर पल आनंद की लहर दौड़ती रहती।

​नर-देही के दो दिन ही तो हैं, गुरुजन सुनाते हैं कि बिना राम के नेहरा सूखा पड़ जाता, घनेरी विपदा घेर लेती। लेकिन संतन सुखदायी बनकर न उपजना न विनाशना, बस प्रीति लगाकर जीवन जी लेना। ये राह इतनी सरल है कि हर कदम पर शांति मिलती जाती।

यह भजन भी देखिये

Next Post Previous Post