सुण म्हारा मनवा वीर एड़ी नहीं करणी

सुण म्हारा मनवा वीर एड़ी नहीं करणी

मनवा तो पंछी भया,
उड़ के चला आकाश,
ऊपर से ही गिर पड़ा,
मोह माया के पास।

सुण म्हारा मनवा वीर,
एड़ी नहीं करणी,
जळ उण्डो संसार,
दोरो तिरणो,
माया मोटो जाळ,
गरब नहीं करणो जी।

सुमता कुमता नार,
दोय पटराणी,
दोनों रो और स्वभाव,
संत पहचाणी,
सुण म्हारा मनवा वीर,
एड़ी नहीं करणी,
जळ उण्डो संसार,
दोरो तिरणो,
माया मोटो जाळ,
गरब नहीं करणो जी।

आ गई कुमता नार,
कुबदा कर गई,
म्हाने नेखियो चौरासी माँय,
जनम डुबा गई,
सुण म्हारा मनवा वीर,
एड़ी नहीं करणी,
जळ उण्डो संसार ,
दोरो तिरणो,
माया मोटो जाळ,
गरब नहीं करणो जी।

आ गई सुमता नार,
सुध बुध दे गई,
म्हाने तारियो चौरासी रे माँय,
जनम सुधार गई,
सुण म्हारा मनवा वीर,
एड़ी नहीं करणी,
जळ उण्डो संसार,
दोरो तिरणो,
माया मोटो जाळ,
गरब नहीं करणो जी।

किण ने सुणाऊँ गुरु ज्ञान,
उठ उठ भागे,
ज्योंरा हिरदा बड़ा कठोर,
रंग नहीं लागे,
सुण म्हारा मनवा वीर,
एड़ी नहीं करणी,
जळ उण्डो संसार,
दोरो तिरणो,
माया मोटो जाळ,
गरब नहीं करणो जी।

नाभि कमल रे माँय,
गंगा खळकी,
अड़ा उड़द रे बीच,
गंगा खळकी,
एतो केवे संत कबीर,
भगती करणी,
सुण म्हारा मनवा वीर,
एडी नहीं करणी,
सुण म्हारा मनवा वीर,
एड़ी नहीं करणी,
जळ उण्डो संसार,
दोरो तिरणो,
माया मोटो जाळ,
गरब नहीं करणो जी।
 



सुण म्हारा मनवा बीर ऐडी़ नही करणी || मारवाड़ी देसी राजस्थानी भजन || shobhamali

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