हेली म्हारी मंदिर में काई डोले भजन


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हेली म्हारी मंदिर में काई डोले भजन

हेली म्हारी मंदिर में काई डोले,
हेली म्हारी मस्जिद में काई डोले,
थारी काया में बसे करतार।

मुरतकोर मंदिर में मेली वा मुखड़े नही बोले
वाका दीवान तो दरवाजे ठाडा, बिना हुकम कुण खोले।

राम नाम की या बालग उतरी बिन गाहक कुण खोले,
मूरख ने काई ज्ञान बतावा राई परवत का ओले

गढ़ पर्वत से गंगा निकली मैली काया धोईले,
बिन साबुन से मेल कटे री, मल-मल काया धोइले

जोहरी बाजार लग्यो घट भीतर, मन/दिल चाहे सो लईले
हीरा तो जोहरी ने बिण लिया, मूरख काँकरा तोले/बिणे।

नाथ गुलाब मिल्या गुरु पुरा दिल की घुंडी खोले
सब जीवों पर कृपा कीन्ही, धर-धर कांटे तोले।

हेली म्हारी मंदिर में काई डोले
हेली म्हारी मस्जिद में काई डोले
थारी काया में बसे करतार।



हेली म्हारी मंदिर में कई डोले | Heli mhari mandir mein kai dole | Geeta Parag

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