झाड़ू म्हारो फिर रयो निर्गुण माय लिरिक्स Jhadu Mharo Phir Rahayo Lyrics, Kabir Bhajan/Nirgun Bhajan
साखी:-जो तू सांचा बाणिया सांची हाट लगाव
अंदर झाडू देयके कचरा देत बहाव।।
भजन:-
हाँ रे मनवा सत सरभंगी म्हारो चतुर सुजान
झाडू म्हारो फिरी रयो निर्गुण माय हाँ रे भाई।।
यो झाड़ू म्हारो अटल अखाडा रा माय हाँ रे भाई
मन पवन का झाडू बनाया, करनी रा कसणा लगाया
गुरु गम बंगड़ी लगी झाडू में, इणा मन की मुक्ति जाण।।
नाभी द्वादस चढ़ कर देख्यो, देख्यो घणो मैदान
बंक नाल से चढ्यो सरभंगी, झाड्यो दसमों द्वार।।
अलियां गालियाँ शहर मंजारा, फिरी रही सुरता नार, हां रे भाई
कर कर चौकस झाड्यो मैदान, यां पवन करेगा पहचान।।
करम भरम का झाड्या कसौटा जग में दिया हंसा राल
नेमी नगर मात्रमजी को झाडू, कोई संत करेगा पहचान ||