कृपा की ना होती जो आदत तुम्हारी भजन लिरिक्स Kripa Ki Na Hoti Jo Aadat Lyrics
कृपा की ना होती जो आदत तुम्हारी,तो सूनी ही रहती अदालत तुम्हारी।
ओ दोनों के दिल में जगह तुम न पाते
तो किस दिल में होती हिफाजत तुम्हारी
कृपा की ना होती जो आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती अदालत तुम्हारी।
गरीबों की दुनिया है आबाद तुमसे
गरीबों से है बादशाहत तुम्हारी
कृपा की ना होती जो आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती अदालत तुम्हारी।
न मुल्जिम ही होते न तुम होते हाकिम
न घर घर में होती इबादत तुम्हारी
कृपा की ना होती जो आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती अदालत तुम्हारी।
तुम्हारी उल्फ़त के दृग बिन्दु हैं वे,
तुम्हें सौंपते है अमानत तुम्हारी,
कृपा की ना होती जो आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती अदालत तुम्हारी।