भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के माता-पिता कौन हैं Brahma Vishnu Mahesh Ke Mata Pita Koun Hain Hindi
त्रिदेवों के माता-पिता परमब्रह्म हैं, जिन्हें ईश्वर, ब्रह्मांड का निर्माता और पालनकर्ता माना जाता है। परमब्रह्म निराकार और नित्य हैं। उन्होंने अपने ही तेज से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उत्पत्ति की। ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं, विष्णु पालनकर्ता हैं और महेश संहारक हैं।
कुछ पुराणों में, त्रिदेवों के माता-पिता सृष्टि की मूल शक्ति, प्रकृति को माना गया है। प्रकृति को आदिशक्ति, महामाया और दुर्गा भी कहा जाता है। उन्होंने अपने ही शक्ति से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उत्पत्ति की। इस प्रकार, त्रिदेवों के माता-पिता परमब्रह्म या प्रकृति हैं।
कुछ पुराणों में, त्रिदेवों के माता-पिता सृष्टि की मूल शक्ति, प्रकृति को माना गया है। प्रकृति को आदिशक्ति, महामाया और दुर्गा भी कहा जाता है। उन्होंने अपने ही शक्ति से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उत्पत्ति की। इस प्रकार, त्रिदेवों के माता-पिता परमब्रह्म या प्रकृति हैं।
त्रिदेवों के माता-पिता प्रकृति हैं। प्रकृति को आदिशक्ति, महामाया और दुर्गा भी कहा जाता है। वे सृष्टि की मूल शक्ति हैं, और उन्होंने अपने ही शक्ति से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उत्पत्ति की।
नारद जी के प्रश्न के उत्तर में ब्रह्मा जी कहते हैं कि प्रारंभ में केवल सद्ब्रह्म ही शेष थे। सब स्थानों पर प्रलय था। उस निराकार परमात्मा ने अपना स्वरूप शिव जैसा बनाया, और उसे सदाशिव कहा जाता है। सदाशिव ने अपने शरीर से एक स्त्री निकाली, जो दुर्गा, जगदम्बिका, प्रकृति देवी और त्रिदेवों की जननी कहलाई। दुर्गा की आठ भुजाएं हैं, और उन्हें शिवा भी कहा जाता है।
यहाँ, ब्रह्मा जी त्रिदेवों के माता-पिता के रूप में प्रकृति को स्वीकार करते हैं। वे कहते हैं कि प्रकृति ही त्रिदेवों की उत्पत्ति का कारण है। प्रकृति को आदिशक्ति भी कहा जाता है, जो सृष्टि की मूल शक्ति है। अतः, यह उचित है कि प्रकृति ही त्रिदेवों की जननी हो।
कुछ अन्य पुराणों में, त्रिदेवों के माता-पिता परमब्रह्म को माना गया है। परमब्रह्म को ईश्वर, ब्रह्मांड का निर्माता और पालनकर्ता माना जाता है। परमब्रह्म निराकार और नित्य हैं। उन्होंने अपने ही तेज से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उत्पत्ति की। ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं, विष्णु पालनकर्ता हैं और महेश संहारक हैं।
नारद जी के प्रश्न के उत्तर में ब्रह्मा जी कहते हैं कि सदाशिव और शिवा ने पति-पत्नी रूप में रहकर एक पुत्र की उत्पत्ति की, जिसका नाम विष्णु रखा। विष्णु को पालनकर्ता के रूप में जाना जाता है। वे सृष्टि को संरक्षित करते हैं और दुष्टों का नाश करते हैं।
कुछ अन्य पुराणों में, भगवान विष्णु की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तो उसमें से कई अमूल्य वस्तुएं निकलीं। उनमें से एक वस्तु थी एक कमल का फूल, जिस पर विष्णु विराजमान थे। विष्णु को समुद्र मंथन से निकालने के बाद, उन्हें देवताओं का राजा बनाया गया।
नारद जी के प्रश्न के उत्तर में ब्रह्मा जी कहते हैं कि प्रारंभ में केवल सद्ब्रह्म ही शेष थे। सब स्थानों पर प्रलय था। उस निराकार परमात्मा ने अपना स्वरूप शिव जैसा बनाया, और उसे सदाशिव कहा जाता है। सदाशिव ने अपने शरीर से एक स्त्री निकाली, जो दुर्गा, जगदम्बिका, प्रकृति देवी और त्रिदेवों की जननी कहलाई। दुर्गा की आठ भुजाएं हैं, और उन्हें शिवा भी कहा जाता है।
यहाँ, ब्रह्मा जी त्रिदेवों के माता-पिता के रूप में प्रकृति को स्वीकार करते हैं। वे कहते हैं कि प्रकृति ही त्रिदेवों की उत्पत्ति का कारण है। प्रकृति को आदिशक्ति भी कहा जाता है, जो सृष्टि की मूल शक्ति है। अतः, यह उचित है कि प्रकृति ही त्रिदेवों की जननी हो।
कुछ अन्य पुराणों में, त्रिदेवों के माता-पिता परमब्रह्म को माना गया है। परमब्रह्म को ईश्वर, ब्रह्मांड का निर्माता और पालनकर्ता माना जाता है। परमब्रह्म निराकार और नित्य हैं। उन्होंने अपने ही तेज से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उत्पत्ति की। ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं, विष्णु पालनकर्ता हैं और महेश संहारक हैं।
श्री विष्णु जी की उत्पत्ति
भगवान विष्णु की उत्पत्ति सदाशिव और शिवा (दुर्गा) से हुई थी। सदाशिव को शिव का एक रूप माना जाता है, जो सृष्टि का मूल कारण है। शिवा को देवी दुर्गा का एक रूप माना जाता है, जो सृष्टि की मूल शक्ति है।नारद जी के प्रश्न के उत्तर में ब्रह्मा जी कहते हैं कि सदाशिव और शिवा ने पति-पत्नी रूप में रहकर एक पुत्र की उत्पत्ति की, जिसका नाम विष्णु रखा। विष्णु को पालनकर्ता के रूप में जाना जाता है। वे सृष्टि को संरक्षित करते हैं और दुष्टों का नाश करते हैं।
कुछ अन्य पुराणों में, भगवान विष्णु की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तो उसमें से कई अमूल्य वस्तुएं निकलीं। उनमें से एक वस्तु थी एक कमल का फूल, जिस पर विष्णु विराजमान थे। विष्णु को समुद्र मंथन से निकालने के बाद, उन्हें देवताओं का राजा बनाया गया।
श्री ब्रह्मा जी की उत्पत्ति
ब्रह्मा जी की उत्पत्ति शिव और शिवा के संयोग से हुई थी। यह जानकारी कई पुराणों में पाई जाती है।एक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा जी की उत्पत्ति शिव और शिवा के संयोग से हुई थी। शिव ने अपने दाहिने हाथ से एक अंडे को बनाया, जो हिरण्यगर्भ कहलाया। उस अंडे से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ। एक अन्य मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा जी की उत्पत्ति शिव और शिवा के अर्धनारीश्वर रूप से हुई थी। शिव का अर्धनारीश्वर रूप भगवान विष्णु और देवी शक्ति का संयोग है। ब्रह्मा जी की उत्पत्ति के बारे में कई अन्य मान्यताएं भी हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी स्वयंभू थे, जबकि कुछ मान्यताओं के अनुसार, उन्हें विष्णु जी ने बनाया था।