गुरु पारस को अन्तरो जानत हैं सब सन्त हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

गुरु पारस को अन्तरो जानत हैं सब सन्त हिंदी मीनिंग Guru Paras Ko Antaro Meaning : Kabir Ke Dohe

गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त।
वह लोहा कंचन करे, ये करि लये महन्त॥

Guru Paras Ko Antaro, Janat Hai Sab Sant,
Vah Loha Kanchan Kare, Ye Kari Ley Mahant.
 
गुरु पारस को अन्तरो जानत हैं सब सन्त हिंदी मीनिंग Guru Paras Ko Antaro Meaning

 

कबीर के दोहे का हिंदी अर्थ Kabir Ke Dohe Ka Hindi Meaning / Arth

कबीर साहेब के इस दोहे का अर्थ है की गुरु और पारस पत्थर में अन्तर है, यह सब सन्त जानते हैं। पारस तो लोहे को सोना बनाता है, परन्तु गुरु शिष्य को अपने समान महान बना लेता है, श्रेष्ठ बना देता है। कबीरदास के इस दोहे में, वे गुरु के महत्व को समझाते हुए कहते हैं कि गुरु और पारस पत्थर में एक महत्वपूर्ण अंतर है। पारस पत्थर एक ऐसी वस्तु है जो लोहे को सोने में बदल सकती है। लेकिन गुरु, एक ऐसा व्यक्ति होता है जो अपने शिष्य को अपने समान महान बना सकता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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