महल देख के सुदामा डरया ਮਹਿਲ ਦੇਖ ਕੇ ਸੁਦਾਮਾ ਡਰਿਆ
महल देख के सुदामा डरया ਮਹਿਲ ਦੇਖ ਕੇ ਸੁਦਾਮਾ ਡਰਿਆ
महल देख के सुदामा डरिया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली।
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली।
महल देख के सुदामा डरिया...।।
पुछ्दा पड़ोसियां नूं, कौन एथे आया ए,
कुल्ली नूं गिरा के कीहणे महल बनाया ए।
ओ इस दीन ते तरस नहीं आया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...
महल देख के सुदामा डरिया...।।
केहड़ी घड़ी माड़ी सी, द्वारका नूं तुरिया,
ख़ाली हथ आया ओथे, कुछ वी ना मिलिया।
मेरा पल्ला मेरे श्याम जी ने फड़िया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...
महल देख के सुदामा डरिया...।।
बड़ा कुछ सोच के मैं, श्याम कोल गया सी,
गल्लां गल्लां विच सारा हाल सुनाया सी।
ना मैं मंगिया, ना श्याम कोलों सरिया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...
महल देख के सुदामा डरिया...।।
हो गया हैरान, आई दिलां दी आवाज़ सी,
सुदामे दा तां महल बनाया भगवान सी।
किसे कीता नहीं, कराया कुछ करिया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...
महल देख के सुदामा डरिया...।।
भगत कहिंदा डोरां जीहणे श्याम उत्ते सुत्टियां,
लखां कोई तोड़े भावें, कदे वी ना टुट्टियां।
जीहणे डुब्दे दा हथ लिया फड़िया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...।।
जीहणे घुट्ट के पीतांबर फड़िया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...
महल देख के सुदामा डरिया...।।
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली।
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली।
महल देख के सुदामा डरिया...।।
पुछ्दा पड़ोसियां नूं, कौन एथे आया ए,
कुल्ली नूं गिरा के कीहणे महल बनाया ए।
ओ इस दीन ते तरस नहीं आया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...
महल देख के सुदामा डरिया...।।
केहड़ी घड़ी माड़ी सी, द्वारका नूं तुरिया,
ख़ाली हथ आया ओथे, कुछ वी ना मिलिया।
मेरा पल्ला मेरे श्याम जी ने फड़िया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...
महल देख के सुदामा डरिया...।।
बड़ा कुछ सोच के मैं, श्याम कोल गया सी,
गल्लां गल्लां विच सारा हाल सुनाया सी।
ना मैं मंगिया, ना श्याम कोलों सरिया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...
महल देख के सुदामा डरिया...।।
हो गया हैरान, आई दिलां दी आवाज़ सी,
सुदामे दा तां महल बनाया भगवान सी।
किसे कीता नहीं, कराया कुछ करिया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...
महल देख के सुदामा डरिया...।।
भगत कहिंदा डोरां जीहणे श्याम उत्ते सुत्टियां,
लखां कोई तोड़े भावें, कदे वी ना टुट्टियां।
जीहणे डुब्दे दा हथ लिया फड़िया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...।।
जीहणे घुट्ट के पीतांबर फड़िया,
ओ कित्थे गई खां दी कुल्ली...
महल देख के सुदामा डरिया...।।
Bhajan महल देख के सुदामा डरया ओ कित्थे गई कख्खा दी कुल्ली हरे कृष्ण 🌹
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Admin - Saroj Jangir
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