जो गुरु बसै बनारसी शीष समुन्दर तीर मीनिंग कबीर के दोहे

जो गुरु बसै बनारसी शीष समुन्दर तीर मीनिंग Jo Guru Base Banarasi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit.

जो गुरु बसै बनारसी, शीष समुन्दर तीर।
एक पलक बिखरे नहीं, जो गुण होय शरीर॥

Jo Guru Base Banarasi, Sheesh Samundar Teer,
Ek Palak Bikhare Nahi, Jo Gun Hoy Sharir.
 
जो गुरु बसै बनारसी शीष समुन्दर तीर मीनिंग Jo Guru Base Banarasi Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी अर्थ Kabir Ke Dohe Ka Hindi Meaning / Arth 

कबीर साहेब ने इस दोहे में कहा है की यदि गुरु बनारस में / वाराणसी में हो और शिष्य समुद्र के कनारे पर रह रहा हो, दोनों आपस में एक दुसरे से दूर हैं फिर भी यदि साधक गुरु के बताये गए मार्ग पर चले तो पास रहने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
इसका अर्थ है कि यदि गुरु और शिष्य के बीच आध्यात्मिक संबंध स्थापित हो गया है, तो भौतिक दूरी कोई बाधा नहीं है। शिष्य गुरु के गुणों को अपने शरीर में धारण कर लेता है, और वह गुरु को कभी नहीं भूलता है। गुरु शिष्य के लिए एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक होता है। वह शिष्य को सत्य, ज्ञान और भक्ति का मार्ग दिखाता है। गुरु के मार्गदर्शन के बिना, शिष्य जीवन में सफल नहीं हो सकता और मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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