माया मरी न मन मरा मीनिंग कबीर के दोहे Maya Mari Na Man Meaning

माया मरी न मन मरा मीनिंग Maya Mari Na Man Mara Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Meaning /Arbh

माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर,
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर.

Maya Mari Na Man Mara, Mar Mar Gaye Sharir,
Aash Trishna Na Mari, Kah Gaye Das Kabir.
 
माया मरी न मन मरा मीनिंग Maya Mari Na Man Mara Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी अर्थ Kabir Ke Dohe Ka Hindi Meaning / Arth

कबीर साहेब की वाणी है की माया कभी समाप्त नहीं होती है, मरती नहीं है। आशा और तृष्णा भी कभी समाप्त नहीं होती है, ऐसा कबीर दास जी कहते हैं। आपने संत कबीर के दोहे का सही अर्थ समझा है। वे कहते हैं कि माया और मन हमेशा बनी रहती हैं, भले ही शरीर मर जाए। मन हमेशा कुछ न कुछ चाहता रहता है, और माया इस चाहत का उपयोग करके मन को भ्रमित करती है। कबीर कहते हैं कि जब तक मन माया से जुड़ा रहेगा, तब तक हम मुक्ति नहीं पा सकते। मुक्ति पाने के लिए, हमें माया से मुक्त होना होगा। दोहे का दूसरा हिस्सा भी बहुत महत्वपूर्ण है। कबीर कहते हैं कि आशा और भोग की आस मरती नहीं है। हम हमेशा कुछ न कुछ पाने की उम्मीद करते हैं, चाहे वह धन, सफलता, या प्रेम हो। यह आशा हमें आगे बढ़ने में मदद करती है, लेकिन यह हमें भ्रमित भी कर सकती है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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