कबीर सुमिरण सार है और सकल जंजाल मीनिंग अर्थ Kabir Sumiran Sar Hai Meaning
कबीर सुमिरण सार है, और सकल जंजाल।
आदि अंत मधि सोधिया, दूजा देखा काल।।
Kabeer Sumiran Saar Hai, Aur Sakal Janjaal.
Aadi Ant Madhi Sodhiya, Dooja Dekha Kaal.
कबीर सुमिरण सार है और सकल जंजाल शब्दार्थ Kabir Sumiran Saar Hai Shabdaarth
- कबीर : कबीर साहेब।
- सुमिरण : हरी / इश्वर के नाम का सुमिरन।
- सार है : सार तत्व है, निष्कर्ष और फलदाई है।
- और : हरी के नाम सुमिरन के अतिरिक्त अन्य सभी सांसारिक कार्य।
- सकल : सम्पूर्ण।
- जंजाल : अपने भ्रम में फांस लेने वाले।
- आदि : प्रारंभ।
- अंत : समाप्ति।
- मधि : मथ कर।
- सोधिया : शोध कर लिया है, अन्वेषण कर लिया है।
- दूजा : दूसरा कोई, अन्य।
- देखा : देखा है, प्रकाश में आया है।
- काल: नष्ट करने वाला, हानिकारक।
कबीर सुमिरण सार है और सकल जंजाल हिंदी मीनिंग Kabir Sumiran Saar Hai Meaning
भावार्थ : कबीर साहेब कहते हैं कि ईश्वर का नाम सुमिरन करना ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। ईश्वर के नाम के अंतर्गत कुछ भी स्मरण करना कष्टदायक है, झंझट भरा है। अतः हरी के नाम का सुमिरन ही अंतिम सत्य है। सुमिरण ही मुक्ति का मार्ग है, बाकी सभी जंजाल के समान हैं। आदि और अंत सभी का शोध कर लिया है उसके उपरान्त चक्रव्यूह में ही फँस कर रह जाता है। व्यक्ति कई मार्गों का अनुसरण करता है, पूजा पाठ करता है, दिखावा करता है लेकिन यह सभी मार्ग मुक्ति का नहीं है।
कबीर साहेब का सन्देश है की मैंने शोध कर लिया है आदि से अंत तक का इश्वर के अतिरिक्त अन्य सभी सांसारिक कार्य पतन का मार्ग हैं। माया जनित कार्य में व्यक्ति को कभी भी लिप्त नहीं होना चाहिये क्योंकि ऐसे मार्ग व्यक्ति को हरी सुमिरन से विमुख कर देते हैं और अपने जाल में फंसा लेते हैं। साहेब ने आदि और अंत का शोध करके वाणी दी है की हमें केवल इश्वर का ही सुमिरन करना चाहिए अन्य सभी एक तरह से जनजाल ही हैं।