
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
कहते को कही जान दे गुरु की सीख शब्दार्थ
दोहे का हिंदी में अर्थ/भावार्थ
व्यर्थ की बात बोलने वाले पर तुम ध्यान मत दो, तुम गुरु की ही शिक्षा धारण करो, साकट दुष्टों और कुत्तों को उलट कर उत्तर देना बुद्धिमानी नहीं होती है। वहाँ पर मौन ही श्रेष्ठ उपाय है.भावार्थ है की साधक जब भक्ति मार्ग में आगे बढ़ता है तो अवश्य ही सांसारिक लोग उसके बारे में अनर्गल / उलटी सीखी बातें करते हैं। लेकिन साधक को चाहिए की वह अपने लक्ष्य पर ध्यान रखे और आगे बढ़ता ही चला जाए। बुरे लोग बुराई ही करेंगे, अनावश्यक आलोचना करेंगे और कुत्ता सदैव ही आने जाने वालों पर भौंकता है। इन दोनों पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए और सांसारिकता को छोड़कर हरी सुमिरन पर अपना ध्यान लगाना चाहिए।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |