कहते को कही जान दे गुरु की सीख तू लेया मीनिंग Kahate Ko Kahi Jaan De Meaning

कहते को कही जान दे गुरु की सीख तू लेया मीनिंग Kahate Ko Kahi Jaan De Meaning

कहते को कही जान दे, गुरु की सीख तू लेय,
साकट जन औश्वान को, फेरि जवाब न देय।

Kahate Ko Kahi Jan De, Guru Ki Seekh Tu Ley,
Sakat Jan Oswhn Ko Feri Jawab Na Dey.
 
कहते को कही जान दे गुरु की सीख तू लेया मीनिंग Kahate Ko Kahi Jaan De Meaning

कहते को कही जान दे गुरु की सीख शब्दार्थ Kahate Ko Kahi Jaan De Shabdarth

  • कहते को : कहने वालों को, अनर्गल और व्यर्थ की बाते करने वालों को।
  • कही जान दे : उन्हें कहने दो।
  • गुरु की सीख तू लेय : तुम तो गुरु की शिक्षा को ग्रहण करो, गुरु की शिक्षाओं पर ध्यान दो।
  • साकट जन : दुष्ट
  • औश्वान को : और कुत्ते को
  • फेरि : मुड़कर/पलटकर।
  • जवाब न देय : उत्तर मत दो।

Khate ko Kahi Jaan De Dohe Ka Meaning दोहे का हिंदी में अर्थ/भावार्थ

 
कबीर साहेब का कथन है की जो लोग अनर्गल बोलते हैं, उनको बोलने दो, तुमको तो गुरु की ही सीख को धारण करना चाहिये। साकट (दुष्ट) यहाँ इस शब्द का आशय बुरे लोगों से लिया गया है। बुरे लोग और कुत्ते के भौंकने का पलटकर जवाब देना उचित नहीं है। 
 
व्यर्थ की बात बोलने वाले पर तुम ध्यान मत दो, तुम गुरु की ही शिक्षा धारण करो, साकट दुष्टों और कुत्तों को उलट कर उत्तर देना बुद्धिमानी नहीं होती है। वहाँ पर मौन ही श्रेष्ठ उपाय है.
भावार्थ है की साधक जब भक्ति मार्ग में आगे बढ़ता है तो अवश्य ही सांसारिक लोग उसके बारे में अनर्गल / उलटी सीखी बातें करते हैं। लेकिन साधक को चाहिए की वह अपने लक्ष्य पर ध्यान रखे और आगे बढ़ता ही चला जाए। बुरे लोग बुराई ही करेंगे, अनावश्यक आलोचना करेंगे और कुत्ता सदैव ही आने जाने वालों पर भौंकता है। इन दोनों पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए और सांसारिकता को छोड़कर हरी सुमिरन पर अपना ध्यान लगाना चाहिए।
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