कैसे हो तुम चंदा मामा हाल पूछने आये हम

कैसे हो तुम चंदा मामा हाल पूछने आये

 
कैसे हो तुम चंदा मामा हाल पूछने आये

कैसे हो तुम चंदा मामा,
हाल पूछने आये हम,
कैसे हो तुम चंदा मामा,
हाल पूछने आये हम।
 
कहते हैं तुम सदियों पहले,
धरती से ही आये थे,
इस वीरान जगह पर आकर,
अपना भवन बनाये थे।

अब तक तो तुमको बस केवल,
लोरी में सुन पाये हम,
कैसे हो तुम चंदा मामा,
हाल पूछने आये हम।
 
कोई कहता था सुन्दर हो,
कोई बस परछाईं हो,
हमने बचपन से यह जाना,
तुम मम्मी के भाई हो,
इतने दिनों बाद आये हैं,
फिर भी कब घबराये हम।

स्वागत करो हमारा देखो,
मथुरा कासी आये हैं,
सारी दुनिया को बतला दो,
भारतवासी आये हैं।

देखो अपने साथ निशानी,
एक तिरंगा लाये हम,
कैसे हो तुम चंदा मामा,
हाल पूछने आये हम,
देखो अपने साथ निशानी,
एक तिरंगा लाये हम।


कैसे हो तुम चंदा मामा, हाल पूछने आये हम। चंद्रयान-3 की सफलता पर कविता 

 चंदा मामा को हाल पूछने भारतवासी आते हैं, सदियों पुरानी लोककथा में धरती से चंद्रमा को मामा मानकर लोरी गाते बच्चे उन्हें प्यार से बुलाते हैं। मथुरा-काशी घूमने तिरंगा थामकर स्वागत करते हैं, परछाईं या सुंदर कुछ न कहें तो भी मम्मी के भाई समझ घबराहट मिटा देते हैं। ये बाल सुलाने वाली कविता चंदामामा पत्रिका की कहानियों से प्रेरित है, जहां चांद वीरान आकाश में भवन बसाता है।​


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