
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
पढ़ि पढ़ि जू पत्थर भया लिखि लिखि भया जु चोर मीनिंग Padhi Padhi Ju Patthar Bhaya Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth
पढ़ि पढ़ि जू पत्थर भया, लिखि लिखि भया जु चोर,कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की ज्ञान सबसे बड़ा प्रेम है। किताबी ज्ञान को पढ़कर व्यक्ति ईंट के सामान बन गया है। कबीर साहेब का कथन है की प्रेम की ऐसे व्यक्ति को एक भी छींटा भी नहीं लगा है। किताबी ज्ञान के सहारे इश्वर को खोजने वालों के लिए कबीर साहेब ने कहा है की वे पढ़ते पढ़ते पत्थर बन गये हैं, उनका मानवीय स्वभाव लुप्त हो गया है और लिखते लिखते वे चोर बन गये हैं. जिस पढने से इश्वर की प्राप्ति होती है वह तो कोई और ही दिशा है, वह तो कुछ प्रथक ही ज्ञान है. वह ज्ञान है/ वह पढना है आत्मिक, जब हम सच्चे हृदय से इश्वर के नाम का सुमिरन करते हैं तो हम भक्ति के उचित राह पर होते हैं.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |