पढ़ि पढ़ि जू पत्थर भया लिखि लिखि भया जु चोर मीनिंग Padhi Padhi Ju Patthar Bhaya Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth
पढ़ि पढ़ि जू पत्थर भया, लिखि लिखि भया जु चोर,जिस पढ़ने साहिब मिले, सो पढ़ना कछु और।
Padhi Padhi Jo Patthar Bhaya, Likhi Likhi Bhaya Ju Chor,
Jis Padhne Sahib Mile, So Padhna Kachchu Aur.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की ज्ञान सबसे बड़ा प्रेम है। किताबी ज्ञान को पढ़कर व्यक्ति ईंट के सामान बन गया है। कबीर साहेब का कथन है की प्रेम की ऐसे व्यक्ति को एक भी छींटा भी नहीं लगा है। किताबी ज्ञान के सहारे इश्वर को खोजने वालों के लिए कबीर साहेब ने कहा है की वे पढ़ते पढ़ते पत्थर बन गये हैं, उनका मानवीय स्वभाव लुप्त हो गया है और लिखते लिखते वे चोर बन गये हैं. जिस पढने से इश्वर की प्राप्ति होती है वह तो कोई और ही दिशा है, वह तो कुछ प्रथक ही ज्ञान है. वह ज्ञान है/ वह पढना है आत्मिक, जब हम सच्चे हृदय से इश्वर के नाम का सुमिरन करते हैं तो हम भक्ति के उचित राह पर होते हैं.आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
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