सौंन दा महीना आया लिरिक्स Sawan Da Mahina Aaya Lyrics
सौंन दा महीना आया लिरिक्स Sawan Da Mahina Aaya Lyrics
सौंन दा महीना आया,शगन मनाउँदा हां,
नंगे नंगे पैरी तेरे,
मंदिरा नू आउंदा हां,
सौंन दा महीना आया,
शगन मनाउँदा हां।
कच्चे पक्के भांडे वांगु,
ऐंवे सानू फ़ोल ना,
बच्चा हां मैं तेरा,
मैनु समझी कोई होर ना,
गल पाके पल्ला झल्ला,
लोका तो कहाउँदा हां,
नंगे नंगे पैरी तेरे,
मंदिरा नू आउंदा हां,
सौंन दा महीना आया,
शगन मनाउँदा हां।
लुक लै तू जिथो तक,
भगता तो लुकना,
मेहरावाली हनेरी नू ही,
पैना माये झुकना,
सुन गला मेरिया मैं,
सच्चियाँ सुनाउँदा हां,
नंगे नंगे पैरी तेरे,
मंदिरा नू आउंदा हां,
सौंन दा महीना आया,
शगन मनाउँदा हां।
खुल खुल खाँदा माये,
दुख एह जुदाई दा,
फेरे उत्ते फेरा ताहियो,
तेरे वल पाईंदा,
कर मंजूर मैनु,
वास्ते मैं पाउँदा हां,
नंगे नंगे पैरी तेरे,
मंदिरा नू आउंदा हां,
सौंन दा महीना आया,
शगन मनाउँदा हां।
SAUN DA MAHINA AAYA
नवरात्र का महत्व निम्नलिखित है:
पवित्रता और मोक्ष: नवरात्र को पवित्रता और मोक्ष प्राप्ति का एक अवसर माना जाता है। इन नौ रातों में, भक्त देवी दुर्गा की आराधना करते हैं, जो शक्ति और ज्ञान की देवी हैं। देवी दुर्गा की कृपा से, भक्त अपने पापों से मुक्त हो जाते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
भक्ति और समर्पण: नवरात्र भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इन नौ रातों में, भक्त देवी दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण व्यक्त करते हैं। वे देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करते हैं, भजन गाते हैं और कथाएँ सुनते हैं।
सामाजिक सद्भाव: नवरात्र सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इन नौ रातों में, विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग एक साथ मिलकर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। यह त्योहार लोगों को एकजुट करने में मदद करता है।
नवरात्र के दौरान, भक्त कई नियमों का पालन करते हैं। वे सात्विक भोजन करते हैं, मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहते हैं। वे देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करते हैं और भजन गाते हैं। नवरात्र के अंत में, भक्त देवी दुर्गा की आरती करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
पवित्रता और मोक्ष: नवरात्र को पवित्रता और मोक्ष प्राप्ति का एक अवसर माना जाता है। इन नौ रातों में, भक्त देवी दुर्गा की आराधना करते हैं, जो शक्ति और ज्ञान की देवी हैं। देवी दुर्गा की कृपा से, भक्त अपने पापों से मुक्त हो जाते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
भक्ति और समर्पण: नवरात्र भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इन नौ रातों में, भक्त देवी दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण व्यक्त करते हैं। वे देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करते हैं, भजन गाते हैं और कथाएँ सुनते हैं।
सामाजिक सद्भाव: नवरात्र सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इन नौ रातों में, विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग एक साथ मिलकर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। यह त्योहार लोगों को एकजुट करने में मदद करता है।
नवरात्र के दौरान, भक्त कई नियमों का पालन करते हैं। वे सात्विक भोजन करते हैं, मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहते हैं। वे देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करते हैं और भजन गाते हैं। नवरात्र के अंत में, भक्त देवी दुर्गा की आरती करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।