सोया साधु जगाइए करे नाम का जाप मीनिंग Soya Sadhu Jagaiye Meaning : Kabir Ke Dohe
सोया साधु जगाइए, करे नाम का जाप
ये तीनो सोते भले, साकट सिंह और साँप
ये तीनो सोते भले, साकट सिंह और साँप
Or
सोवा साधु जगाइए, करे नाम का जाप।
यह तीनों सोते भले, साकित सिंह और साँप॥
यह तीनों सोते भले, साकित सिंह और साँप॥
Sova Sadhu Jagaiye, Kare Naam Ka Jaap,
Yah Teenon Sote Bhale, Sakit Singh Aur Saanp.
सोया साधु जगाइए, करे नाम का जाप ।
यह तीनों सोते भले, साकित सिंह और साप ॥
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब के इस दोहे का मूल सन्देश है की साधू (हृदय के भीतर बसे पवित्र व्यक्ति ), स्वंय के साधू को जगाओ, उसे हरी भक्ति का महत्त्व बताओं और दुष्ट, शेर और सांप यदि सो रहे हैं तो उन्हें जगाना नहीं चाहिए क्योंकि वे जागकर किसी का अहित ही करेंगे, वे किसी का भला नहीं कर पायेंगे.
आशय है की हमारे भीतर भी एक साधू है और सांप, शेर और दुष्ट है. हमें इनमें से स्वंय के भीतर के साधू को जगाना है ताकि हम जीवन के उद्देश्य को पूर्ण कर सके. आत्मा अभी सोई है इसलिए कबीर साहेब साधू को जगाने के लिए कहते हैं।
आशय है की हमारे भीतर भी एक साधू है और सांप, शेर और दुष्ट है. हमें इनमें से स्वंय के भीतर के साधू को जगाना है ताकि हम जीवन के उद्देश्य को पूर्ण कर सके. आत्मा अभी सोई है इसलिए कबीर साहेब साधू को जगाने के लिए कहते हैं।
कबीर के शब्दों का अर्थ यह है कि हम सभी में एक साधु है, एक आत्मा है जो सत्य की खोज में है. लेकिन हम अक्सर अपनी वृत्तियों और इच्छाओं से अंधे हो जाते हैं. हम सांसारिक चीजों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपने भीतर के साधु को भूल जाते हैं.