तिनका कबहूँ ना निंदिये जो पाँव तले होय हिंदी मीनिंग Tinaka Kabahu Na Nidiye Meaning

तिनका कबहूँ ना निंदिये जो पाँव तले होय हिंदी मीनिंग Tinaka Kabahu Na Nidiye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth

तिनका कबहूँ ना निंदिये, जो पाँव तले होय ।
कबहूँ उड़ आँखों मे पड़े, पीर घनेरी होय ।।

Tinaka Kabahu Na Nindiye, Jo Panv Tale Hoy,
Kabahu Ud Aakhon me Pade, Peer Ghaneri Hoy.
 
तिनका कबहूँ ना निंदिये जो पाँव तले होय हिंदी मीनिंग Tinaka Kabahu Na Nidiye Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी अर्थ/भावार्थ (Kabir Doha Hindi Meaning)

कबीर साहेब का कथन है की हमें तिनके/कमजोर व्यक्ति की निंदा नहीं करनी चाहिए, यदि वह उड़कर आखों में पड़ जाए तो बहुत अधिक कष्टकर होता है. किसी कमजोर की भी निंदा नहीं करनी चाहिए, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। एक तिनका या एक कण भी हमारी आंख में लग सकता है और हमें दर्द दे सकता है। इसी तरह, किसी की निंदा से भी उस व्यक्ति को दुख हो सकता है। कबीरदास जी का यह दोहा हमें यह भी याद दिलाता है कि हम खुद भी कभी भी निंदा से नहीं बचे हैं। हम सभी में कुछ न कुछ कमियां होती हैं। इसलिए, हमें दूसरों की निंदा करने से पहले अपने आप को देखना चाहिए।

आजकल के समय में, परनिंदा एक आम बात हो गई है। लोग सोशल मीडिया पर दूसरों की निंदा करने में लगे रहते हैं। यह एक बहुत ही हानिकारक आदत है। यह न केवल दूसरों को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि हमें भी अंदर से खोखला बनाती है।
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