क्या भरोसा देह का बिनस जात छिन मांह हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

क्या भरोसा देह का बिनस जात छिन मांह हिंदी मीनिंग Kya Bharosa Deh Ka Meaning : Kabir Ke Dohe

क्या भरोसा देह का, बिनस जात छिन मांह।
साँस-सांस सुमिरन करो और यतन कुछ नांह॥
Or
काह भरोसा देह का बिनस जात छीन मांहिं ।
सांस सांस सुमिरण करो, और यतन कछु नाहिं ।।

Kya Bharosa Deh ka Binas Jaat Chhin Mah,
Sans Sans Sumiran Karo Aur Yatan Kuch Nah.
 
क्या भरोसा देह का बिनस जात छिन मांह हिंदी मीनिंग Kya Bharosa Deh Ka Meaning

क्या भरोसा देह का बिनस जात छिन मांह शब्दार्थ Kya Bharosa deh Ka Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi

काह भरोसा/क्या भरोसा : क्या भरोसा
बिनस :समाप्त होना
छीन : क्षण के अंदर /क्षण क्षण में
कुछ नाह/कछु नाहीं : कुछ नही

कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning

कबीर साहेब कहते हैं कि इस संसार में हमारी देह का कोई भरोसा नहीं है. यह एक क्षण में समाप्त हो सकती है. इसलिए हमें हर आती जाती सांस से भगवान का सुमिरन करना चाहिए. कबीरदास जी कहते हैं कि इस मानव देह का कोई भरोसा नहीं है, यह एक क्षण में समाप्त हो सकती है. इसलिए हमें हर आती जाती सांस से भगवान का सुमिरन करना चाहिए. मानव जीवन क्षणिक है और एक ही पल में समाप्त हो जाता है, इसका कोई स्थायित्व नहीं है. इसलिए हर आती जाती सांस से हरी नाम का सुमिरन किया जाना चाहिए.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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