भेष देख मत भूलये बुझि लीजिये ज्ञान हिंदी अर्थ Bhesh Dekh Mat Bhuliye Meaning

भेष देख मत भूलये बुझि लीजिये ज्ञान हिंदी अर्थ Bhesh Dekh Mat Bhuliye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth


भेष देख मत भूलये, बुझि लीजिये ज्ञान |
बिना कसौटी होत नहिं, कंचन की पहिचान ||

Bhesh Dekh Mat Bhuliye, Bujhi Lijiye Gyan,
Bina Kasoti Hot Nahi, Kanchan Ki Pahchan.
 
भेष देख मत भूलये बुझि लीजिये ज्ञान हिंदी अर्थ Bhesh Dekh Mat Bhuliye Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं, समझाते हुए कहते हैं की केवल भेष, बाह्य आवरण देखकर किसी को संत और ग्यानी मानने की गलती को मत करो. आप उससे ज्ञान के विषय में पूछिये, ज्ञान से आधार पर ही किसी को साधू समझना चाहिए। जैसे बिना कसोटी के यह जान पाना मुश्किल होता है की धातु सोना है या नहीं वैसे ही किसी व्यक्ति के संत होने की कसोटी उसका ज्ञान ही है। संत कबीरदास जी के इस दोहे का अर्थ है कि हमें किसी व्यक्ति के बाहरी रूप-रंग या कपड़ों से नहीं आंकना चाहिए। हमें उस व्यक्ति के आंतरिक गुणों को देखना चाहिए। केवल वह व्यक्ति ही सच्चा साधु है, जो ज्ञानी और विवेकशील है। इस दोहे में संत कबीरदास जी हमें बता रहे हैं कि केवल बाहरी आडंबरों से किसी व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर का पता नहीं लगाया जा सकता। हमें उस व्यक्ति के आंतरिक गुणों को देखना चाहिए। जो व्यक्ति ज्ञानी और विवेकशील है, वह ही सच्चा साधु है। ऐसा व्यक्ति ही हमें सही मार्गदर्शन दे सकता है।
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