सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारी, स्वामी सब संशय हारी, विषय विकार मिटाओ, विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी,
ॐ जय बृहस्पति देवा।
जो कोई तुम्हरी आरती, प्रेम सहित गावे, स्वामी प्रेम सहित गावे, जेष्ठानन्द आनन्दकर, जेष्ठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावै, ॐ जय बृहस्पति देवा।
ॐ जय बृहस्पति देवा, स्वामी जय बृहस्पति देवा, छिन छिन भोग लगाऊं, छिन छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा, ॐ जय बृहस्पति देवा।
बोलिए विष्णु भगवान की जय, बोलो बृहस्पति देव की जय।
बृहस्पति देव की आरती का महत्व: बृहस्पति देव, जिन्हें देवताओं के गुरु के रूप में माना जाता है, की आरती करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। गुरुवार के दिन उनकी आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है, जिससे ज्ञान, गुण और विवेक की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि बृहस्पति देव की पूजा करने से घर में सुख और शांति का वास होता है। बृहस्पति देव की पूजा विधि:
गुरुवार के दिन प्रातःकाल स्नानादि के पश्चात् पीले वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को स्वच्छ करके भगवान विष्णु या बृहस्पति देव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पीले फूल, चने और गुड़ का भोग अर्पित करें। पूजन के दौरान बृहस्पति देव की कथा का पाठ करें और अंत में उनकी आरती करें। इस दिन केले के पेड़ की पूजा भी शुभ मानी जाती है।
BRUHASPATI DEV KI AARTI | बृहस्पति देव की आरती | गुरूवार की आरती