महाकुंभ पर्व है आया गंगा यमुना सरस्वती संगम
महाकुंभ पर्व है आया
गंगा यमुना सरस्वती संगम, तीर्थराज प्रयाग, महाकुंभ पर्व है आया ॥
अध्यात्मिक सांस्कृतिक धार्मिक,
सजे सुमंगल साज, महाकुंभ पर्व है आया ॥
सागर मंथन का यह, गर्वमयी सनातन इतिहास है, मंथन से मिली जो भी, अद्भुत अलौकिक सौगत है।
सागर से धन्वंतरी प्रगटै,
अमृत कलश ले हाथ, महाकुंभ पर्व है आया ॥
जगतगुरू महामंडेश्वर, साधुसंत महापुरुष आए हैं।
सभी अध्यक्ष अपने अपने, अखाड़ों संग आए हैं।
बजे ढोल नरसिंघे नगाड़े,
हो रहा शंख नाद, महाकुंभ पर्व है आया ॥
कई दिनों तक महाकुंभ का, यह पावन स्नात है,
महामोक्ष का मधुप यही, शुभ बेला समय स्थान है।
देश विदेश से लाख करोड़ों,
कुंभ स्नान को आत, महाकुंभ पर्व है आया ॥
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