ज्ञानी अभिमानी नहीं सब काहू सो हेत हिंदी मीनिंग Gyani Abhimani Nahi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit/Bhavarth
ज्ञानी अभिमानी नहीं, सब काहू सो हेत |सत्यवान परमारथी, आदर भाव सहेत ||
Gyani Abhimani Nahi, Sab Kahu So Het,
Satyvan Parmarathi, Adar Bhav Sahet.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब इस दोहे में कहते हैं की ज्ञान से पूर्ण, ज्ञानी और अभिमान (घमंड) से दूर सभी से हिल मिल कर रहने वाला सत्य्निष्ट (सत्य पर चलने वाला) और जो दूसरों की भलाई चाहता है, आदर भाव सहित ऐसा साधक भिमानी नहीं होता है। इस दोहे में कबीर साहेब सत्यनिष्ठ साधक की पहचान बता रहे हैं। कबीर दास जी इस दोहे में हमें बता रहे हैं कि एक ज्ञानी व्यक्ति के क्या गुण होते हैं। वे कहते हैं कि एक ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान से पूर्ण होता है, लेकिन वह अभिमानी नहीं होता। वह सभी के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आता है। वह सत्यवादी और परमार्थ प्रेमी होता है।