हम माँगने जाते हैं या देने जाते हैं

हम माँगने जाते हैं या देने जाते हैं

भगवान के मन्दिर में,
हम शान दिखाते हैं,
हम माँगने जाते हैं,
या देने जाते हैं।

बस काम मेरा कर दे,
तेरे दर पे आऊँगा,
ग्यारह सौ रूपये का,
प्रसाद चढ़ाऊँगा,
संसार के मालिक को,
लालच दिखलाते हैं,
हम माँगने जाते हैं,
या देने जाते हैं।

लगवा दे नौकरी,
एहसान मैं मानूँगा,
तेरे मन्दिर में ब्राण्डेड,
पत्थर लगवा दूँगा,
हम कितने मूरख हैं,
उसे शर्त बताते हैं,
हम माँगने जाते हैं,
या देने जाते हैं।

औक़ात बदल देता,
हालात बदल देता,
अच्छे अच्छों का जो,
इतिहास बदल देता,
उसके कीर्तन में हम,
इतिहास बनाते हैं,
हम माँगने जाते हैं,
या देने जाते हैं।

भूखा गरीब है तो,
उसको ना खिलाते हो,
छप्पन व्यंजन लाकर,
बाबा को चढ़ाते हो,
ऐसे छप्पन व्यंजन,
बाबा को न भाते हैं,
हम माँगने जाते हैं,
या देने जाते हैं।

हम भजन गायकों का,
भी कौन भरोसा है,
विश्वास की थाली में,
बस झूठ परोसा है,
ख़ुद अमल न कर पाते,
सबको समझाते हैं,
और आप भी बातों पर,
मोहित हो जाते हैं,
हम माँगने जाते हैं,
या देने जाते हैं।
 



ये भजन नहीं सवाल है । हम माँगने जाते हैं या देने जाते हैं ? । Mohit Sai Ji (Ayodhya Wale)
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