जाका गुर भी अंधला चेला खरा निरंध हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

जाका गुर भी अंधला चेला खरा निरंध हिंदी मीनिंग Jaka Guru Bhi Andhla Meaning : Kabir Ke Dohe Ka Hindi Arth/Bhavarth

जाका गुर भी अंधला, चेला खरा निरंध।
अंधा−अंधा ठेलिया, दून्यूँ कूप पड़ंत॥

Jaka Guru Bhi Andhla, Chela Khara Nirandh,
Andha Andhe Theliya, Donyu Kup Padant.
 
जाका गुर भी अंधला चेला खरा निरंध हिंदी मीनिंग Jaka Guru Bhi Andhla Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning

इस दोहे में कबीर साहेब का कथन है की क्या होगा जब गुरु और शिष्य दोनों ही अंधे हों, दोनों के पास ही ज्ञान ना हो। जिस शिष्य का गुरु अज्ञानी हो, अँधा हो तो चेला भी बिलकुल ही दृष्टिहीन ही होगा। गुरु और शिष्य दोनों ही अंधे होने पर एक दुसरे को धकेलते हैं और दोनों ही कुए में गिर जाते हैं, पतन को प्राप्त करते हैं। कबीरदास जी के इस दोहे का अर्थ है कि जिसका गुरु अज्ञानी है, उसका शिष्य भी अज्ञानी ही होता है। दोनों मिलकर अंधों की तरह एक-दूसरे को ठेलते हैं और अंततः दोनों ही भ्रम और अज्ञान में गिर जाते हैं।

इस दोहे का भाव यह है कि हमें अपने गुरु का चुनाव करते समय यह देखना चाहिए की क्या गुरु स्वंय तो माया के प्रभाव में तो नहीं है। हमें ऐसे गुरु को चुनना चाहिए जो ज्ञानवान हो। इस दोहे में, कबीर ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति का गुरु अज्ञानी है, तो उसके शिष्य का भी ज्ञान प्राप्त करने का कोई संभावना नहीं है। दोनों ही अज्ञान में गिर जाते हैं। ज्ञान के अभाव में गुरु और शिष्य दोनों ही भक्ति मार्ग पर आगे नहीं बढ़ पाते हैं.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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