कंकरिया से मटकी फोड़ी भजन

दही हांडी एक हिंदू त्योहार है जो भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को याद करता है। श्रीकृष्ण को दूध, दही और माखन बहुत पसंद था। वह अपने मित्रों के साथ मिलकर अपने पड़ोसियों से घर से माखन चुराते थे। इसी वजह से कृष्ण जी को माखन चोर भी कहा जाता है। श्रीकृष्ण की माखन चोरी की आदत से परेशान होकर गोपियों ने अपने घर की माखन की हांडी को ऊंचाई पर बांधना शुरू कर दिया। लेकिन श्रीकृष्ण ने अपनी टोली बनाकर गोपियों के इस कोशिश को भी नाकाम कर दिया। इसी वजह से दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है।

Naye Bhajano Ke Lyrics

कंकरिया से मटकी फोड़ी भजन लिरिक्स

सुन री यशोदा मैया,
तेरे नंदलाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
मदन गोपाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी।

नानो कन्हैया तेरो बड़ा उत्पाती,
संग में ग्वाल बाल खुरापाती,
कर दे डगरिया पे,
कर दे डगरिया पे,
कर दे डगरिया पे चलना मोहाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
मदन गोपाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी।

छाछ दही माखन को बेरी,
दाड़ो ढीठ डाटे से ना डरे री,
ऊँचे छीके टांगी,
ऊँचे छीके टांगी,
ऊँचे छीके टांगी बहुत संभाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
मदन गोपाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी।

सुन री यशोदा मईया,
तेरे नंदलाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
कंकरिया से मटकी फोड़ी,
मदन गोपाल रे,
कंकरिया से मटकी फोड़ी।
 



Kankariya Se Matki Phodi Krishna Bhajan By Lakhbir Singh Lakkha I Tum Se Bada Dani Na Koi
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