कोयला भी हो ऊजला जरि बरि हो मीनिंग

कोयला भी हो ऊजला जरि बरि हो जो सेत मीनिंग

कोयला भी हो ऊजला, जरि बरि हो जो सेत |
मूरख होय न अजला, ज्यों कालम का खेत ||

Koyala Bhi Ho Ujala, Jari Bari So Jo Set,
Moorakh Hoy Na Ajala, Jyo Kalam Ka Khet.
 
कोयला भी हो ऊजला जरि बरि हो जो सेत मीनिंग Koyala Bhi Ho Ujala Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग अर्थ/भावार्थ

मूर्ख के विषय में कबीर साहेब के विचार हैं की कोयला भी जलकर उजला हो जाता है लेकिन यदि कोई मूर्ख है तो वह कभी भी अपनी मूर्खता को त्यागता नहीं है। जैसे उसर /बंजर खेत में कभी बीज उपजते नहीं है, उसी प्रकार से मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान की बातें ठीक नहीं लगती हैं। मूर्ख व्यक्ति से माथा पच्ची करने के स्थान पर विवेकशील व्यक्ति को अपना ध्यान अन्य स्थान पर लगाना चाहिए। संत कबीर दास जी का यह दोहा बहुत ही सार्थक है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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