लगा रहै सतज्ञान सो सबही बन्धन तोड़ मीनिंग Laga Rahe Satgyan Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
लगा रहै सतज्ञान सो सबही बन्धन तोड़ |
कहैं कबीर वा दास को, काल रहै हथजोड़ ||
कहैं कबीर वा दास को, काल रहै हथजोड़ ||
Laga Rahe Satgyan So Sabahi Bandhan Tod,
Kahe Kabir Va Das Ko, Kal Rahe Hathjod.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
विषय विकार से दूर होकर जो सत्यज्ञान की खोज में लगा रहता है, सभी मायाजनित बन्धनों को तोड़कर जो इश्वर की भक्ति में लगा रहता है, कबीर साहेब कहते हैं की उस दास को काल भी हाथ जोड़कर नमन करता है। आशय है की काल भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है जो इश्वर की भक्ति करता है और सत्य का अनुसरण करता है। कबीर दास जी कहते हैं कि जो व्यक्ति सत्य ज्ञान में लीन रहता है, वह सभी विषय-बंधनों को तोड़ देता है। वह सांसारिक मोह-माया से मुक्त हो जाता है।