मैं सेवक तू मालिक श्याम हमारा है

मैं सेवक तू मालिक श्याम हमारा है

मैं सेवक तू मालिक,
श्याम हमारा है,
हम दोनों का रिश्ता,
कितना प्यारा है,
मैं सेवक तू मालिक,
श्याम हमारा है।

मेरे इस जीवन में ऐसा,
असर है तेरे प्यार का,
तेरी सेवा में ही मुझको,
सुख मिलता संसार का,
मैं कश्ती तू मेरा,
खेवनहारा है,
मैं सेवक तू मालिक,
श्याम हमारा है।

जाने कौन से पुण्य का फल,
ये मिला तेरा दरबार है,
मिलती है जो,
तुझसे तनख्वाह,
पले मेरा परिवार है,
मुझे सांवरे बस,
तेरा ही सहारा है,
मैं सेवक तू मालिक,
श्याम हमारा है।

जब भी आई मुश्किल तूने,
साथ दिया है सांवरे,
कोई नहीं कर सकता जितना,
तूने किया है सांवरे,
रोम रोम पे कर्ज ये,
श्याम तुम्हारा है,
मैं सेवक तू मालिक,
श्याम हमारा है।

जब तक ना देखे तुझे संजय,
चैन ना कुंदन आता है,
तेरा मेरा खाटू वाले,
जुड़ गया ऐसा नाता है,
बिन तेरे एक पल ना,
मुझे गवारा है,
मैं सेवक तू मालिक,
श्याम हमारा है।

हम दोनों का रिश्ता,
कितना प्यारा है,
मैं सेवक तू मालिक,
श्याम हमारा है।
 


एकादशी स्पेशल - मैं सेवक तू मालिक - Mai Sewak Tu Malik - Sanjay Pareek - New Khatu Shyam Ji Bhajan

कृष्ण भक्ति हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम, सम्मान और समर्पण की भावना है। कृष्ण भक्तों का मानना है कि कृष्ण भगवान हैं और वे उन्हें अपनी भक्ति के माध्यम से मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। कृष्ण भक्ति के कई अलग-अलग रूप हैं। कुछ कृष्ण भक्त कृष्ण की मूर्तियों की पूजा करते हैं, जबकि अन्य कृष्ण के भजन गाते हैं या कृष्ण की कथाएँ पढ़ते हैं। कुछ कृष्ण भक्त कृष्ण के मंदिरों और आश्रमों में जाते हैं, जबकि अन्य कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को अपने दैनिक जीवन में व्यक्त करते हैं। कृष्ण भक्ति के कई लाभ हैं। यह मन को शांति और आनंद प्रदान कर सकता है, जीवन के उद्देश्य की भावना प्रदान कर सकता है और मोक्ष प्राप्त करने की संभावना को बढ़ा सकता है।
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