मन के हारे हार हैं मन के जीते जीति Man Ke Hare Har Hai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Meaning/Bhavarth
मन के हारे हार हैं, मन के जीते जीति।
कहै कबीर हरि पाइए, मन ही की परतीति॥
Man Ke Hare Har Hai, Man Ke Jite Jeet,
Kahe Kabir Hari Paiye, Man Hi Ki Parteet.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब इस दोहे के माध्यम से सन्देश देते हैं की मन में यदि उत्साह और विश्वास है तो अवश्य ही जीत होती है और यदि मन में ही परभाव हो तो हार होती है। मन के तीव्र और गहन विश्वाश से ही परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है। आशय है की हमें अपने मन में दृढ इच्छा शक्ति और सकारात्मक भाव रखने चाहिए।
कबीर दास जी के इस दोहे का अर्थ यह है कि जीवन में जय और पराजय केवल मन की भावनाएं हैं। यदि मनुष्य मन में हार गया, निराश हो गया तो पराजय है और यदि उसने मन को जीत लिया तो वह विजेता है। ईश्वर को भी मन के विश्वास से ही पा सकते हैं - यदि प्राप्ति का भरोसा ही नहीं तो कैसे पाएंगे?
हमें अपने मन को हमेशा मजबूत और सकारात्मक रखना चाहिए। हमें किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए। हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ प्रयास करते रहना चाहिए।
कबीर दास जी के इस दोहे का अर्थ यह है कि जीवन में जय और पराजय केवल मन की भावनाएं हैं। यदि मनुष्य मन में हार गया, निराश हो गया तो पराजय है और यदि उसने मन को जीत लिया तो वह विजेता है। ईश्वर को भी मन के विश्वास से ही पा सकते हैं - यदि प्राप्ति का भरोसा ही नहीं तो कैसे पाएंगे?
हमें अपने मन को हमेशा मजबूत और सकारात्मक रखना चाहिए। हमें किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए। हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ प्रयास करते रहना चाहिए।