मास मास नहिं करि सकै छठे मीनिंग
मास मास नहिं करि सकै छठे मास अलबत हिंदी मीनिंग
मास मास नहिं करि सकै, छठे मास अलबत |थामें ढ़ील न कीजिये, कहैं कबीर अविगत ||
Mas Mas Nahi Kari Sake, Chathe Mas Albat,
Thame Dheel Na Kijiye, Kahe Kabir Avigat.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग अर्थ/भावार्थ
कबीरदास जी के अनुसार, संतों के दर्शन से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। संतों के पास ईश्वरीय ज्ञान है। उनके दर्शन से मनुष्य के हृदय से पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष प्राप्त होता है। आज के समय में, संतों के दर्शन करना उतना आसान नहीं है। संत दूर-दूर रहते हैं और उन तक पहुँचना मुश्किल होता है। लेकिन, अगर हम प्रति छह माह में भी संतों के दर्शन कर सकें तो यह हमारे जीवन के लिए बहुत लाभदायक होगा।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |
