राती माँ सुपने विच आयी

राती माँ सुपने विच आयी

राती माँ सुपने विच आयी,
हाय रब्बा मेरी अख खुल गयी,
हाय रब्बा मेरी अख खुल गयी,
रब्बा मेरी अख खुल गयी,
मैं ते रज के दीद ना पाई,
हाय रब्बा मेरी अख खुल गयी,
राती माँ सुपने विच आयी।

आधी राती सुपना आया,
वगे पवन दे बुल्ले,
नाल हवा दे होली होली,
दर मंदिर दे खुल्ले,
मथे सूरज नैन ने अमृत,
शक्ल नूरानी वेखी,
चरणा हेठ करोड़ा मोती,
उड़दे सन अनमुल्ले,
ऊंचा इक सिंहासन ढीठा,
ऊंचा इक सिंहासन ढीठा,
नाल सोने दे मड़या,
सिर ते लाल दुप्पटा माँ दे,
नाल मोतिया जड़या,
खड़े देवते बन क़तारा,
मेरी मात सिंघासन बैठी,
ओ ब्रह्मा विष्णु शंकर ने सी,
लड़ दाती दा फड़या,
मैं जद अपनी नज़र दौड़ाई,
हाय रब्बा मेरी अख खुल गयी,
रब्बा मेरी अख खुल गयी,
मैं ते रज के दीद ना पाई,
हाय रब्बा मेरी अख खुल गयी,
राती माँ सुपने विच आयी।
 



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